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Saturday, July 30, 2022

जीवन की दशा बदलने के लिए दिशा बदलना आवश्यक : बाल मुनि



जैन मुनि कुलदर्शन विजय जी ने बताया कि धन और सुख का कोई मिलान नहीं है

शिवपुरी। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को सुखमय और आनंदपूर्ण बनाना चाहता है। लेकिन गलत दिशा में दौडऩे से जीवन में हैप्पीनेश नहीं आ सकती है। हमारी यहीं सोच है कि अधिक से अधिक धन सम्पत्ति आ जाए तो हमारा जीवन सुखमय और आनंदपूर्ण हो जाएगा, यह यदि होता तो धन सम्पत्ति की प्रचुरता और वैभव सम्पन्न होने के बाद भी अच्छे-अच्छे करोड़पति, अरबपति लोग सुशांत सिंह राजपूत और सुष्मिता वर्नजी जैसी हस्तियां आत्महत्या नहीं करतीं। उक्त उदगार बाल मुनि कुलदर्शन विजय जी ने आराधना भवन स्थित धर्मसभा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जीवन की दशा बदलने के लिए दिशा बदलना बहुत आवश्यक है। बकौल बाल मुनि, नजरें बदलों नजारे बदल जाएंगे, सोच बदलों सितारे बदल जाएंगे, कस्तियों को बदलने की जरूरत नहीं दिशा बदलो किनारे बदल जाएंगे।

संत कुलदर्शन विजय जी ने दो टूक स्वर में कहा कि उपदेश से न सुधरो तो आप अपने अनुभव से ही सुधर जाओ। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से आपके माता-पिता, दादा-दादी आपसे अधिक सम्पन्न और समृद्ध नहीं होंगे। छोटे से मकान में रहकर उन्होंने 8-8, 10-10 बच्चों का लालन पालन किया होगा। लेकिन जरा देखो अपनी ओर उनकी दशा। आज आपके पास सबकुछ है। बड़ा घर, बड़ी गाड़ी, लाख दो लाख रूपए का मोबाइल। लेकिन सोचना कि वह अधिक सुखी थे या आप अधिक सुखी हैं। फिर भी आपको क्योंं बोध नहीं होता कि धन और सुख का कोई मिलान नहीं है। धन सम्पत्ति आपके पास है। इसके बाद भी जीवन आराम से चले इसकी कोई गारंटी नहीं है। लेकिन आपके पास पुण्य है तो जीवन 100 प्रतिशत गारंटी से चलेगा। अपना अस्तित्व बचाने के चक्कर में आप पदार्थ और पैसों के पीछे पागलों की तरह जुटे हुए हैं। लेकिन इसके बाद भी जीवन में हैप्पीनेश नहीं है। इसके स्थान पर तनाव, संघर्ष, डिप्रेशन जैसी बीमारियों से आप घिरे हुए हैं।

अपने गुणों का करें सदुपयोग
जैन संत कुलदर्शन विजय जी ने अपने उदबोधन में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ गुण अवश्य होता है। उन गुणों को तरासने के साथ-साथ उनका सदुपयोग भी करें। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को सत्ता में इंटरेस्ट होता है। नेतृत्व प्रेमी लोग सत्ता के लिए पदार्थ और धन छोडऩे के लिए भी तैयार रहते हैं। लेकिन यह बात ध्यान रखिए कि नेतृत्व के लिए बड़े पद पर बैठना सरल है। लेकिन उस पद के अनुरूप अपनी जिम्मेदारी निर्वहन की भावना भी आप में होनी चाहिए। ठीक उसी तरह व्यक्तित्व प्रेमी लोगों का ध्यान अपने व्यक्तित्व पर केन्द्रित रहता है और उन्हें भी अपने व्यक्तित्व का सदुपयोग करना चाहिए, तभी आनंद का खजाना उनके भीतर प्रवाहित होगा।

डॉक्टर दम्पत्ति से क्या शिवपुरी वाले लेंगे प्रेरणा
मुंबई में अपने चार्तुमास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां एक डॉक्टर दम्पत्ति ऐसे थे, जिन्होंने अपने क्लीनिक के बाहर बोर्ड लगा रखा था कि हमारी कोई फीस नहीं है, जो चाहें आप दे सकते हैं। इस तरह से वह अपने व्यक्तित्व का सही सदुपयोग कर रहे थे। जिनका कोई नहीं है, जिनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं है उनके लिए यदि आप अपने व्यक्तित्व का सदुपयोग करेंगे तो इससे बेहतर आनंद का खजाना आपके लिए और क्या हो सकता है। महाराज श्री ने बताया कि उक्त दम्पत्ति का मुंबई की 40 संस्थाओं ने सम्मान कर उन्हें शॉल पहनाई। उक्त दम्पत्ति ने सम्मान समारोह के बाद उन सभी शॉलों को पात्र लोगों को वितरित कर दिए। क्या इस उदाहरण से शिवपुरी के व्यक्तित्व प्रेमी प्रेरणा लेंगे। आखिर धन सम्पत्ति उनके साथ नहीं जाएगी। उनके साथ तो उनके पुण्यकर्म ही जाएंगे। 

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