जिम्मेदार ही नहीं दे रहे ध्यान इसलिए अमोला क्रेशर पर वन रक्षक ही वन रहे भक्षकशिवपुरी-अमोला घाटी से नीचे करैरा रैंज के अंतर्गत सब रैंज अमोला (क्रैसर)के आसपास के संरक्षित वनों की कटाई जोर-शोर से जारी है। कुछ ही वर्षों में अंधाधुंध कटाई कर खेती के लिये सैकड़ों वीघा जमीन तैयार कर हर साल सरसों की खेती होती है। बहुत वार लिखित मौखिक शिकायतें करने पर भी वन महकमा चुप्पी ओढ़े रहता है, कोई ठोष कार्रवाई आज तक नहीं हो पाई।
इस कारण जंगल काटकर जोतकर हर साल फसल करने वाले अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। यहां डूब क्षेत्र अमोला के कंपार्टमेंट पी.1033 अमोला दक्षिण के अलावा टपरिया, रामपुर, अमोलपठा, क्रेशर, छान रोड, सलैया के आसपास के जंगलों की स्थिति एक जैसी है, यहां से पेड़ लकड़ी काटकर लोग सलैया के होटलौ ढावौ पर लकड़ी की सप्लाई करते हैं।
यहां अमोला दक्षिण पी 1033 जंगल कंपार्टमेंट तो पूरा छलनी कर सरसों की फसल पैदा की जाती है। कुछ दिनों पूर्व इस जंगल में एक खाती बाबा का चबूतरा मात्र हुआ करता था जो अब विशाल शनि मंदिर बन चुका है और मेले की पार्किंग के चलते जंगल छलनी कर दिया है। पर्यावरण प्रेमी राजीव दुवे विगत 5 वर्ष से इस जंगल की कटाई रोकने संघर्ष कर रहे हैं लेकिन विभाग की मिली भगत से अमोला के जंगल काटे जा रहे हैं।
जनसुनवाई में अजीब वाकया, मीडिया के हस्तक्षेप से अधिकारियों ने लिया आवेदन
मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचे पर्यावरण प्रेमी आरटीआई कार्यकर्ता राजीव दुबे ने बताया कि वह 5 साल से ग्राम अमोला में मडिख़ेड़ा बांध क्षेत्र में जंगलों की अवैध कटाई कर खेती करने के संबंध में जब जन सुनवाई में आवेदन एडीएम को दिया तो उनका जवाब था कि वन विभाग से संबंधित शिकायत है यहां नहीं सुनी जाती, जबकि जनसुनवाई तो सभी कार्यालयों मेें होने वाली असुनवाई के लिए सुनवाई करता है फिर इस तरह का जबाब देकर जब मीडिया का हस्तक्षेप हुआ तब कहीं जाकर मामले की सुनवाई हुई और आवेदन लिया गया।
No comments:
Post a Comment