शिवपुरी-विश्व गीता प्रतिष्ठानम् उज्जयिनी द्वारा देश के कई प्रान्तो में गीता ओलंपियाड परीक्षा 11 नवंबर 2024 संपन्न हुई। विश्व गीता प्रतिष्ठानाम शिवपुरी के विष्णु शर्मा ने श्रीमद् भागवत गीता प्रकाश डालते हुए बताया कि श्रीमद् भगवद्गीता भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकली हुई वाणी है, प्रतिदिन मानव को इसका पाठ करना चाहिए, गीता जी के श्लोक सरल एवं सुबोध हैं विद्यार्थियों को गीता ज्ञान के प्रति जिज्ञासा होना चाहिए। गीता को पढऩे सुनने वह मनन करने से भय, शोक, मोह तथा समस्त विकारों से मुक्ति मिलती है, यह श्रीमद् भगवद्गीता का उपदेश प्रत्येक व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति कराना है संस्कार विद्यार्थियों के जीवन की आधारशिला है जहां अच्छे विचारों तथा संस्कारो से मनुष्य का जीवन आनंद में होता है वही बुरे विचारों तथा गलत आदतों से व्यक्ति का जीवन नारकीय हो जाता है। संस्कारों की स्थापना बाल अवस्था में ही की जा सकती है व्यक्ति का जीवन सुसंस्कृत हो एतदर्थ यह नितांत आवश्यक है कि उनमें बाल्यावस्था से ही नैतिक मूल्यों का बीजारोपण किया जाए। इसी उद्देश्य को लेकर विश्व गीता प्रतिष्ठानम् बालक बालिकाओं तथा युवा वर्ग के समुज्जल भविष्य निर्माण के लिए श्रीमद् भगवद्गीता तथा देव वाणी संस्कृत भाषा के माध्यम से नैतिक मूल्यों की स्थापना हेतु कटिबंध है उनसे उनका जीवन स्वस्थ स्वाध्यायशील कर्मशील, ज्ञानमय तथा सुसंस्कृत बन सके भारतीय संस्कृति के नव जागरण हेतु विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं के लिए गीता ओलंपियाड गीता संस्कृत सामान्य ज्ञान परीक्षा आज आयोजित की गई।
शिवपुरी-विश्व गीता प्रतिष्ठानम् उज्जयिनी द्वारा देश के कई प्रान्तो में गीता ओलंपियाड परीक्षा 11 नवंबर 2024 संपन्न हुई। विश्व गीता प्रतिष्ठानाम शिवपुरी के विष्णु शर्मा ने श्रीमद् भागवत गीता प्रकाश डालते हुए बताया कि श्रीमद् भगवद्गीता भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकली हुई वाणी है, प्रतिदिन मानव को इसका पाठ करना चाहिए, गीता जी के श्लोक सरल एवं सुबोध हैं विद्यार्थियों को गीता ज्ञान के प्रति जिज्ञासा होना चाहिए। गीता को पढऩे सुनने वह मनन करने से भय, शोक, मोह तथा समस्त विकारों से मुक्ति मिलती है, यह श्रीमद् भगवद्गीता का उपदेश प्रत्येक व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति कराना है संस्कार विद्यार्थियों के जीवन की आधारशिला है जहां अच्छे विचारों तथा संस्कारो से मनुष्य का जीवन आनंद में होता है वही बुरे विचारों तथा गलत आदतों से व्यक्ति का जीवन नारकीय हो जाता है। संस्कारों की स्थापना बाल अवस्था में ही की जा सकती है व्यक्ति का जीवन सुसंस्कृत हो एतदर्थ यह नितांत आवश्यक है कि उनमें बाल्यावस्था से ही नैतिक मूल्यों का बीजारोपण किया जाए। इसी उद्देश्य को लेकर विश्व गीता प्रतिष्ठानम् बालक बालिकाओं तथा युवा वर्ग के समुज्जल भविष्य निर्माण के लिए श्रीमद् भगवद्गीता तथा देव वाणी संस्कृत भाषा के माध्यम से नैतिक मूल्यों की स्थापना हेतु कटिबंध है उनसे उनका जीवन स्वस्थ स्वाध्यायशील कर्मशील, ज्ञानमय तथा सुसंस्कृत बन सके भारतीय संस्कृति के नव जागरण हेतु विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं के लिए गीता ओलंपियाड गीता संस्कृत सामान्य ज्ञान परीक्षा आज आयोजित की गई।
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