धर्मसभा में पूज्य मुनियों के पाद प्रच्छालन व आगवानी को लेकर मुनिश्री ने दिया धर्मोपदेशशिवपुरी-शहर के मध्य गुरूद्वारा रोड़ पर स्थित श्री 1008 पाश्र्वनाथ दिगम्बर छत्री मंदिर में आयोजित धर्मसभा में प.पू.मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज के द्वारा अपने धर्मोंपदेश में मुनियों के आगमन, पाद प्रच्छालन सहित आगवानी, आहारचार्य आदि को लेकर प्रेरक आर्शीवचन दिए। इस दौरान मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज ने कहा कि जिस घर में मुनियों का आगमन होता है वहां शुद्धता बहुत आवश्यक है मुनिश्री के चौके से लेकर उनके आहारचर्या तक में शुद्धता का ध्यान रखा जाए, भक्तिभाव के साथ की जाने वाली आगवानी और आदर-सत्कार से मुनियों के चरण से उस घर में पवित्रता आती है और पूरे परिवार को इसका धर्मलाभ प्राप्त होता है।
अनेकों प्रकार के धार्मिक कार्यक्रमों के साथ-साथ जिन शासन की प्रणाली के तहत मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज ने उपस्थित जैन धर्मावलंबियों को जिन शासन की महत्वपूर्ण जानकारीयां दी और अपने धर्मोंपदेश में परिवार के साथ मिलकर मुनियों के आगमन और उनके अन्य आयोजनों में सहभागिता की बात भी कही गई। इस दौरान मंगलाचरण रामदयाल जैन मावा वाले के द्वारा किया गया जबकि दीप प्रज्जवलन प्रेमचंद जैन, राजकुमार जैन राज इलेक्ट्रीकल्स वालों के द्वारा किया गया।
भोजनशाला को आहारचर्या के रूप में निरूपित करते हुए मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज ने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि जब भी घर में कोई मेहमान आए तो सर्वप्रथम घर में प्रवेश द्वार पर ही उसके हाथ-पैर को धोकर ही प्रवेश कराना चाहिए, जब किसी धार्मिक आयोजन में भोजन शाला होती है तो वहां उस स्थान को भोजनशाला के बजाए आहारचर्या का नाम दिया जाना चाहिए इन शब्दों में सात्विकता आती है। इसके साथ ही मुनियों के आगमन पर घर में लगाए जाने वाले चौके के समय भी शुद्धता और सुरक्षा बहुत आवश्यक है
भोजनशाला को आहारचर्या के रूप में निरूपित करते हुए मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज ने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि जब भी घर में कोई मेहमान आए तो सर्वप्रथम घर में प्रवेश द्वार पर ही उसके हाथ-पैर को धोकर ही प्रवेश कराना चाहिए, जब किसी धार्मिक आयोजन में भोजन शाला होती है तो वहां उस स्थान को भोजनशाला के बजाए आहारचर्या का नाम दिया जाना चाहिए इन शब्दों में सात्विकता आती है। इसके साथ ही मुनियों के आगमन पर घर में लगाए जाने वाले चौके के समय भी शुद्धता और सुरक्षा बहुत आवश्यक है
जिन शासन के विपरीत प्रभाव वाले लोगों को यह ज्ञान नहीं होता इसलिए चौका करने वाले परिवार को इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए कि वह घर में चौका कर रहा है तो घर आने वाले आगन्ुतकों से ही पहले अनुमति लेनी चाहिए अन्यथा मुनिश्री के आगमन पर यदि को छींक अथवा पट के समीप किसी जीव को क्षति पहुंचती है तो इससे मुनिश्री का आगमन व्यर्थ हो जाता है और बेबजह चौके करने वाले परिजन भी इस तरह के धार्मिक आयोजन में कोई अपवित्रता होने पर स्वत: ही उसके दोषी का भागी बन जाता है
इसलिए जिन शासन के नियमों का पालन कर ही मुनिश्री की आगवानी व चौका साफ-स्वच्छ स्थान पर लगाया जाना चाहिए जहां शुद्धता का विशेष वास हो और महिलाऐं सिर पर पल्लू रखकर ही आहारचर्या के समय नियमों का पालन कर इस धार्मिक आयोजन में भाग लें।
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