प्रदेश प्रवक्ता ने कहा भाजपा की तानाशाही और साजिश का पर्दाफाश, जीतू पटवारी पर फर्जी एफआई हो निरस्तशिवपुरी-मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के खिलाफ बीती 26 जून 2025 को दर्ज हुई फर्जी एफआईआर की हमें कड़े शब्दों में निंदा करते है और यह एफआईआर न केवल भाजपा सरकार की तानाशाही बल्कि विपक्ष को कुचलने की साजिश को उजागर करती है, कांग्रेस पार्टी के द्वारा पीडि़त की आवाज को दबाने और सच्चाई को झूठ के नीचे दफन करने की भाजपा सरकार की घिनौनी रणनीति का जीता-जागता सबूत है जिसके चलते यह भाजपा और मोहन यादव सरकार का यह कृत्य लोकतंत्र पर काला धब्बा है, जिसे मध्यप्रदेश की जनता कभी माफ नहीं करेगी।
यह बात कही मप्र कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता श्रीमती प्रियंका शर्मा ने जिन्होंने अपने प्रेस बयान में मप्र के अशोकनगर जिले में कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के विरूद्ध दर्ज हुई एफआईआर पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इस पूरे मामले को भाजपा सरकार का रणनीतिक षडयंत्र करार दिया, साथ ही प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती प्रियंका शर्मा ने भाजपा सरकार को चेतावनी दी है कि वह अपनी साजिशों और तानाशाही से बाज आए, मध्यप्रदेश की जनता सब देख रही है और समय आने पर इसका जवाब देगी। आपकी सत्ता की हनक और दबाव की राजनीति ज्यादा दिन नहीं चलेगी। सच्चाई की जीत होगी, और मध्यप्रदेश का लोकतंत्र इस साजिश को परास्त करेगा। इसके साथ ही कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता ने कुछ बिन्दुओं को लेकर मामले में गहनता से जांच करते हए एफआईआर निरस्त की मांग की।
यह है पूरा मामला
बताना होगा कि यह पूरा मामला अशोकनगर जिले के मूडऱा बरवाह गांव का है, जहाँ 10 जून 2025 को गजराज लोधी और रघुराज लोधी ने आरोप लगाया कि स्थानीय सरपंच के पति और उनके साथियों ने उनकी मोटरसाइकिल छीनी, उनके साथ मारपीट की, और अमानवीय रूप से उन्हें मानव मल खाने के लिए मजबूर किया। इस जघन्य अपराध की शिकायत लेकर पीडि़तों ने उसी दिन, 10 जून 2025 को जनसुनवाई कार्यक्रम में अशोकनगर कलेक्टर से मुलाकात की, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए, यह मामला 11 जून 2025 को समाचार पत्रों के माध्यम से प्रमुखता से प्रकाशित हुआ, जिसमें मल खिलाने और पीडि़तों में से एक के आत्मदाह की कोशिश की खबर ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी। यह खबर भाजपा सरकार और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करती थी।
मध्यप्रदेश कांग्रेस ने रखी माँग, घटना की हो निष्पक्ष जांच
मप्र कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के विरूद्ध दर्ज एफआईआर मामले में मप्र कांग्रेस पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती प्रियंका शर्मा ने इस घटना की निंदा करते हुए मप्र सरकार से बिन्दुओं को आधार बनाकर निष्पक्ष जांच की मांग की, जिसके तहत निष्पक्ष जांच में रूप में इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच हो, जिसमें पीडि़तों के दोनों बयानों (10 जून 2025 की शिकायत और 26 जून 2025 के शपथ पत्र) की गहन जाँच की जाए। यह पता लगाया जाए कि पीड़ितों पर किस तरह का दबाव डाला गया। एफआईआर रद्द हो, जीतू पटवारी के खिलाफ 26 जून 2025 को दर्ज फर्जी एफआईआर को तत्काल रद्द किया जाए और इस साजिश के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो। पुलिस की जवाबदेही तय हो जिसमें मुंगावली पुलिस की संदिग्ध भूमिका की जाँच हो और सत्ताधारी दल के दबाव में काम करने वाले अधिकारियों को दंडित किया जाए, साथ ही पीडि़तों को सुरक्षा मुहैया कराई जावे और उन्हें कानूनी सहायता प्रदान की जाए ताकि वह बिना डर के सच्चाई बता सकें।
यह है पूरा मामला
बताना होगा कि यह पूरा मामला अशोकनगर जिले के मूडऱा बरवाह गांव का है, जहाँ 10 जून 2025 को गजराज लोधी और रघुराज लोधी ने आरोप लगाया कि स्थानीय सरपंच के पति और उनके साथियों ने उनकी मोटरसाइकिल छीनी, उनके साथ मारपीट की, और अमानवीय रूप से उन्हें मानव मल खाने के लिए मजबूर किया। इस जघन्य अपराध की शिकायत लेकर पीडि़तों ने उसी दिन, 10 जून 2025 को जनसुनवाई कार्यक्रम में अशोकनगर कलेक्टर से मुलाकात की, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए, यह मामला 11 जून 2025 को समाचार पत्रों के माध्यम से प्रमुखता से प्रकाशित हुआ, जिसमें मल खिलाने और पीडि़तों में से एक के आत्मदाह की कोशिश की खबर ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी। यह खबर भाजपा सरकार और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करती थी।
मध्यप्रदेश कांग्रेस ने रखी माँग, घटना की हो निष्पक्ष जांच
मप्र कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के विरूद्ध दर्ज एफआईआर मामले में मप्र कांग्रेस पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती प्रियंका शर्मा ने इस घटना की निंदा करते हुए मप्र सरकार से बिन्दुओं को आधार बनाकर निष्पक्ष जांच की मांग की, जिसके तहत निष्पक्ष जांच में रूप में इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच हो, जिसमें पीडि़तों के दोनों बयानों (10 जून 2025 की शिकायत और 26 जून 2025 के शपथ पत्र) की गहन जाँच की जाए। यह पता लगाया जाए कि पीड़ितों पर किस तरह का दबाव डाला गया। एफआईआर रद्द हो, जीतू पटवारी के खिलाफ 26 जून 2025 को दर्ज फर्जी एफआईआर को तत्काल रद्द किया जाए और इस साजिश के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो। पुलिस की जवाबदेही तय हो जिसमें मुंगावली पुलिस की संदिग्ध भूमिका की जाँच हो और सत्ताधारी दल के दबाव में काम करने वाले अधिकारियों को दंडित किया जाए, साथ ही पीडि़तों को सुरक्षा मुहैया कराई जावे और उन्हें कानूनी सहायता प्रदान की जाए ताकि वह बिना डर के सच्चाई बता सकें।
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