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𝙎𝙝𝙞𝙫𝙥𝙪𝙧𝙞 𝙆𝙝𝙖𝙗𝙖𝙧

Saturday, November 11, 2023

शक्तिशाली महिला संगठन ने बच्चो से पारंपरिक दीवाली मनाने की अपील, मिट्टी के दीए देकर किया जागरूक



बच्चो को सुरक्षा का संदेश देकर सार्थक दीवाली मनाने का प्रोग्राम आयोजित

शिवपुरी। खुशियों को पर्व है दीपावली, बुराई पर अच्छाई की जीत है दीपावली। आइए इस साल प्रदूषण रूपी बुराई पर पर्यावरण हितकारी दीपावली मनाएं। थोड़ा प्रयास और संयम, आतिशबाजी से दूर रहते हुए पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने का संकल्प से भविष्य को स्वस्थ व स्वच्छ हवा का गिफ्ट दें। ये कहना था शक्ती शाली महिला संगठन के संयोजक रवि गोयल का जो की एक सेकड़ा बच्चो के साथ सार्थक दीवाली के उपलक्ष्य में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में बोल रहे थे। आज संस्था द्वारा हरा बर्ष की भांति आदिवासी बाहुल्य गांव हरनगर, मजहेरा एवम गड़ी बरोद में बच्चो को दीए, फुलझड़ी एवम दिवाली उपहार देकर सार्थक दीवाली का संदेश दिया 

पूजा शर्मा ने कहा की पारंपरिक तरीके से जलाएं जाने वाले मिट्टी का दीया आज दूर हो गया है। इसके जगह बिजली से संचालित रंग-बिरंगे बल्ब व झालर ने ले ली है। महंगाई से बचने के जुगाड़ में केरोसीन से जलने वाले दीये का उपयोग बढ़ गया। केरोसीन का दीया प्रदूषण बढ़ाता है। आपको बचत करता लेकिन आपकी पीढ़ी को प्रदूषण से होने वाली बीमारी के खर्च की ओर धकेलता है। दीपावली की खुशी के पल में आतिशबाजी बदलते समय के साथ परंपरा का एक मुख्य हिस्सा बन गया है। ये पटाखे सिर्फ वातावरण को प्रदूषित ही नहीं करते, बल्कि सेहत को भी नुकसान पहुंचाता है। कारोबारियों ने पटाखे के आकर्षण में हमें और आपको बांध लिया है जबकि पटाखे हम सबकी जेब हल्की करने के साथ ही सेहत और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। पटाखे की क्षणिक खुशी पीढ़ी को कष्ट की ओर धकेल रही है। दीपावली मनाने के साथ-साथ पर्यावरण का भी हर ख्याल जरूरी है। 

पिंकी चौहान ने कहा की पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण से मुक्ति के लिए हम सबको पारंपरिक दीपावली की ओर वापस लौटना आवश्यक है। रवि गोयल ने कहा की मैने कभी भी दीपावली के मौके पर आतिशबाजी का उपयोग नहीं किया इसके बढ़ते चलन के कारण पर्यावरण में फैल रहे प्रदूषण पर नियंत्रण को लेकर पटाखों एवं आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया था। कुछ समय बाद ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की इजाजत दी गई। इनके जलने से कम प्रदूषण होता है। । 

धर्म गिरी गोस्वामी ने कहा की  दीपावली प्रकाश का पर्व है। इस मौके पर हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह हो। भारी मात्रा में आतिशबाजी कर हम वातावरण को प्रदूषित करते हैं। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। दीपावली के दिन केरोसिन के दीये से भी परहेज करनी चाहिए। हम घी या सरसों तेल के दीये प्रज्वलित कर पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में मदद कर सकते हैं। करण लक्ष्यकार ने कहा की दीपावली का पर्व हम सभी को पारंपरिक तरीके से मनाना चाहिए।  पारंपरिक तरीके से मिट्टी के दीये का प्रयोग करना चाहिए। मिट्टी के दीये का प्रयोग करने से कारीगरों को भी रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध होते हैं। प्रोग्राम में शक्ती शाली महिला संगठन की पूरी टीम ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया।

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