महामण्डलेश्वर पुरूषोत्तमदास जी महाराज के सानिध्य में तुलसी आश्रम बड़े हनुमान मंदिर पर जारी है श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञशिवपुरी। जब जब होय धर्म के हानि बाढही असुर अधम अभिमानी तब तब धरी प्रभु विविध शरीर, हरहि कृपा निधि सज्जन पीरा। यानी कि पृथ्वी पर जब-जब अधर्म बढ़ता है और धर्म की हानि होती है तब तक प्रभु अवतार लेते हैं और भक्तों की पीड़ा का हरण करते हैं और स्वयं प्रभु ने अपने मुख से कहा है कि देवता भी मनुष्य योनि में आने के लिए तरसते हैं। एबी रोड पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर तुलसी आश्रम पर श्रीराधाष्टमी एवं मौनी महाराज की 14वीं पुण्यतिथि के अवसर पर महामंडलेश्वर पुरुषोत्तम दास के परम सानिध्य में संगीतमय श्री राम कथा लगातार जारी है।
श्रीराम कथा के दौरान श्री धाम वृंदावन से पधारे आचार्य वेद बिहारी जी शास्त्री के द्वारा पूजा अर्चना और मंच का सुंदर तरीके से संचालन किया जा रहा है। कथा के पांचवे दिन श्री धाम अयोध्या से पधारे मुख्य कथाचार्य श्री राघव दास जी महाराज द्वारा प्रभु श्री राम और चारो भाइयो लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन किया, उन्होंने बताया कि किस तरह भगवान तोतली भाषा में अपने माता-पिता से बात करते हैं और और राजा दशरथ कौशल्या सुमित्रा के किया सभी अपने पुत्रों की तोतली भाषा सुनकर किस तरह से गदगद होते हैं,
इस भाव विभोर कर देने वाले दृश्य का उन्होंने अपने मुखारविंद से सुंदर चित्रण किया। कथा के मुख्य यजमान सोनम मनोज कुशवाह है एवम आयोजक श्रीरामजानकी तुलसी आश्रम सेवा समिति है। यहां संगीत संगत पर पंडित महावीर दुबे शास्त्री एवं अनूप शास्त्री व तबला पर रामजी महाराज एवं पेड पर भैया जी (प्रशांत) पटेल रहे जिन्होंने भजन कीर्तन के माध्यम से आकर्षक रूप से संगीत यंत्रों का वादन किया और श्रवणार्थियों का ध्यान आकर्षित किया।
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