Responsive Ads Here

Shishukunj

Shishukunj

Friday, May 29, 2020

मॉडल एक्ट के विरोध में मंडी अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने किया विरोध प्रदर्शन


लगातार तीन दिनों तक जारी रहेगा विरोध, मॉडल एक्ट को वापस लिए जाने की मांग

शिवपुरी-मप्र शासन द्वारा सन 1972 के मंडी एक्ट में जो शंशोधन किया है और जो नया मॉडल एक्ट लाया जा रहा है इसे लेकर मंडी अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा संगठन द्वारा विरोध किया गया है और विरोध स्वरूप सभी मंडी अधिकारी कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध भी दर्ज कराया और इस संदर्भ में भारसाधक अधिकारी एसडीएम को इस मॉडल मंडी एक्ट के विरुद्ध में इस वापिस लेने को लेकर ज्ञापन सौंपा। इस विरोध प्रदर्शन में मंडी अधिकारी कर्मचारी संघ के एएसआई मनीराम बाथम, हजारी लाल सेन, शिवशंकर शर्मा, अरविंद कुमार दुबे, ज्ञानेंद्र पाराशर व लाखन कुशवाह आदि शामिल रहे।


पूरे प्रदेश में जारी रहेगा मंडी बोर्ड का विरोध प्रदर्शन

मंडी एकता कर्मचारी संघ के प्रान्तीय सचिव एस एम जायसवाल ने बताया कि कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 में शंशोधन करने और इसमे अधिकारियों का ध्यान नही रखे जाने पर संयुक्त मोर्चा द्वारा प्रबंध संचालक भोपाल को ज्ञापन प्रेषित किया है जिसमे इस मॉडल एक्ट के विरोध में पूरे प्रदेश की 2589 मंडियों, 298 उप मंडियों, 13 तकनीकी संभाग, 07 आंचलिक कार्यालय तथा मंडी बोर्ड मुख्यालय में समस्त कर्मचारीगण, अधिकारीगण काली पट्टी लगाकर तीन दिनों तक विरोध स्वरूप कार्य करेंगे ऐसे में लोकडॉन के नियमो का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी मंडी अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा संघ द्वारा किया गया।


किसान हित में नही है मॉडल एक्टए लिया जाए वापस: श्री जायसवाल

मंडी एकता संघ के प्रांतीय सचिव श्री जायसवाल ने आगे बताया कि इस ज्ञापन के माध्यम से हमारी मांग है कि इस मॉडल एक्ट को तत्काल वापिस लिया जाए जो किसान, हम्माल, तुलावटी, व्यापारी तथा मंडी बोर्ड कर्मचारी विरोधी है इससे प्रदेश के लगभग 1 लाख 25 हजार हम्माल, तुलावटी एवं उनके परिवार, 55 हजार व्यापारी तथा लगभग 10 हजार कर्मचारियों एवं उनके परिवार की रोजी रोटी जाने का खतरा हैए इस मॉडल एक्ट से सबसे बड़ा नुकसान लाखो किसानों को होना है, किसानों को अपनी उपज कृषि उपज मंडी में बेचने के लिए अच्छा प्लेटफार्म मिला हुआ है लेकिन मप्र कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 लागू होने से कृषकों को मूलभूत सुविधाओंए निश्चित दूरी पर मंडी उपलब्धता कराके उनकी उपज का बेहतर दिलाने में सफल हुआ है 

किंतु मॉडल एक्ट लागू होने से यह मंडी प्लेटफार्म किसानों से छिनता नजर आ रहा है जिससे किसानों की गुलामी जैसी स्थिति पुन: होती नजर आ रही है जहां किसानों से आढत ली जाएगीए आने पौने दामो पर अपनी फसल बेचने पर मजबूर किया जाएगा, साथ ही उन्हें उनकी उपज का वास्तविक मूल्य मिलने की भी कोई गारेंटी नही रह जायेगी, क्योंकि इस एक्ट के होने से निजी मंडी बन जाने से निजी व्यपारियो को खुली छूट मिल जाएगी और भोला भाला किसान इनके जाल से निकल नही पाएगा।

 वही इस मॉडल एक्ट के बनाने में ना तो किसान प्रतिनिधिए ना ही व्यापारी प्रतिनिधि, ना ही हम्माल तुलावटी प्रतिनिधि और ना ही कर्मचारी प्रतिनिधि किसी को भी अपनी बात रखने का अवसर नही मिल सकेगा। प्रदेश के जो मॉडल एक्ट है वह नियमो के विपरीत है अपनी मनमानी से बनाया जा रहा है जिसका हम सभी काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज करा रहे है और यह तीन दिनों तक लगातार जारी रहेगा इसके बाद संगठन आगामी रुपरेखा तय कर भविष्य की योजना बनाएगा।

No comments:

Post a Comment