कोरोना काल में संक्षिप्त रूप में सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए 200 वर्ष पुरानी परंपरा का किया निर्वाहशिवपुरी- शिवपुरी जिले के नरवर क्षेत्र में दसलक्षण पर्यूषण पर्व के समापन के उपरांत श्री 1008 पास्र्वनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर नरवर नगर में हर वर्ष निकलने वाला विमान उत्सव का कार्यक्रम हरवर्ष की भांति कोरोना की बजह से नही हो सका बाबजूद इसके कोरोना काल में कोरोना गाईड लाईन का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंस के साथ 200 वर्ष पुरानी परम्पराओ को ध्यान में रखते हुए सकल जैन समाज नरवर द्वारा सभी कार्यक्रम विद्वान पंडित श्री राजेंद्र प्रसाद जैन शास्त्री जी के सानिध्य में मंदिर जी मे बड़ी धूमधाम से किये गए।
कोरोना काल में अपनी बात रखते हुए सुरेन्द्र जैन बंटी द्वारा बताया गया अहं के विलय का इससे बेहतर तरीक़ा क्या हो सकता है कि आप झुकना सीखेंए जानी.अनजानी भूलों के लिए नि:संकोच क्षमायाचक हों, पर्यूषण पर्व के ये बीते दस दिन हमें क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग, आकिंचन और ब्रह्मचर्य जीवन में धारण करने की बात कहते है। सुरेन्द्र जैन ने बताया कि मार्च में जब कोरोना की विश्वव्यापी त्रासदी शुरू हुई थी तब यह किसने सोचा था इस वर्ष पर्वाधिराज पर्यूषण भी देव.दर्शन के बिना ही मनाने पडगे, उस समय लग रहा था अगस्त तक सब ठीक हो जाएगा लेकिन ऐसा हो नहीं सका, जैन धर्म में घर में मंदिर बनाने की परंपरा नहीं है, कई कारणों से देव.स्थापना सिद्ध मंदिरों में होती है, देव.दर्शन नित्य कर्म में सबसे प्रथम कार्यों में है,
कई लोगों का नियम होता है कि वे देव.दर्शन के बिना जल भी ग्रहण नहीं करते लेकिन इस बार ये दस दिन व्रत उपवास में भी कई जगाहों पर ऐसी स्थितियां भी बनी जिस कारण जैन समाज को बिना देव.दर्शन के भाव पूजा से ही मन को संतोष करना पड़ा। देश.काल.परिस्थिति में जैसी शक्ति वैसी भक्ति और देशहित का निर्वहन करते हुए हम सबने सहज स्वीकार किया। पर्यूषण पर्व के समापन पर मनाए जाने वाले क्षमा पर्व के पावन अवसर पर हम सभी आप सभी से क्षमा याचना करते है यदि मन.वचन.काय से, कृत.कारित.अनुमोदना से आपको दु:ख पहुँचा हो, आपके भाव खराब हुए हों, आपका दिल दुखा हो तो हम उसके लिए क्षमा माँगते है। इस तरह दशलक्ष्ण पर्युषण पर्व का समापन हुआ।
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