सिरसौद में श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव कथा में झूमे श्रद्धालुशिवपुरी। जिले के सिरसोद गांव में चल रही श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण जी के जन्मोत्सव की कथा का बहुत ही सुंदर तरीके से वर्णन कथा व्यास श्री श्री 1008 श्री रामकिशोर शरण दास जी महाराज अयोध्या बालों के श्री मुख से किया गया। कथा में श्री कृष्ण जी के जन्म की कथा का वर्णन करते हुए कथा व्यास जी ने कहा कि द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करता था। उसके आततायी पुत्र कंस ने उसे गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा। कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी सरदार से हुआ था। एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था।
रास्ते में आकाशवाणी हुई- हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा। यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए अवतरित होंगे। तब देवकी ने उससे विनयपूर्वक कहा मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी। बहनोई को मारने से क्या लाभ है? कथा व्यास रामकिशोर शरण दास जी महाराज ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना प?ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। शास्त्री ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा। इस दौरान भगवान श्री कृष्ण जी की सुंदर झांकी भी प्रस्तुत की। इस दौरान संगीत में वर्णन करते हुए कथा व्यास ने भजन गया कि तूने रव दा मरम नहीं जाना, तुझसे बड़ी भूल हो गई सुनते ही पूरा पंडाल भाव विभोर होकर नाचने को मजबूर हो गए। यह आयोजन सिरसोद गांव में केशव शर्मा जी के द्वारा आयोजित की जा रही है।
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