शिवपुरी- शहर के जाने-माने राष्ट्रवादी कवि व शायर सुकून शिवपुरी को उनके द्वारा किए जा रहे साहित्य एवं संस्कृति संवर्धन के प्रयासों का अभिनंदन करते हुए राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय मंत्री सुमित मिश्रा ओरछा ने ओरछा में आयोजित एक कार्यक्रम में जगदीश मित्तल काव्य सम्मान से सम्मानित किया है। देश के सुप्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय हास्य कवि पद्मश्री स्वर्गीय सुरेन्द्र दुबे की स्मृति में आयोजित अखिल भारतीय काव्यांजलि समारोह में सुकून शिवपुरी को यह सम्मान दिया गया।कार्यक्रम में सुकून शिवपुरी के अलावा वाह वाह फ़ेम हास्य कवि मनोहर मनोज (कटनी), वाह वाह फ़ेम राष्ट्रीय कवि सूरज राय सूरज (जबलपुर), सुश्री स्नेहा त्रिपाठी (रीवा), पंकज अभिराज (झांसी, डॉ.प्रशांत मिश्रा (आजमगढ़), हितेश विश्वा (झांसी), सुश्री शिखा रघुवंशी (गंजबासौदा), अथर्व तिवारी (कटनी) व मनोज मिश्रा (झांसी) आदि ने एक से एक बढ़ कर काव्य प्रस्तुतियां देते हुए स्वर्गीय सुरेन्द्र दुबे को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। सुकून शिवपुरी ने कहा- बरस ही जाते हैं बादल तुम्हारी यादों के, बला का ज़ोर है दिल की घटाओं में अब भी। भले ही ओढ़ ली ख़ामोशी आपने लेकिन, ठहाके गूॅंज रहे हैं फज़़ाओं में अब भी। कार्यक्रम के अंत में दो मिनिट का मौन धारण किया गया।
शिवपुरी- शहर के जाने-माने राष्ट्रवादी कवि व शायर सुकून शिवपुरी को उनके द्वारा किए जा रहे साहित्य एवं संस्कृति संवर्धन के प्रयासों का अभिनंदन करते हुए राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय मंत्री सुमित मिश्रा ओरछा ने ओरछा में आयोजित एक कार्यक्रम में जगदीश मित्तल काव्य सम्मान से सम्मानित किया है। देश के सुप्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय हास्य कवि पद्मश्री स्वर्गीय सुरेन्द्र दुबे की स्मृति में आयोजित अखिल भारतीय काव्यांजलि समारोह में सुकून शिवपुरी को यह सम्मान दिया गया।कार्यक्रम में सुकून शिवपुरी के अलावा वाह वाह फ़ेम हास्य कवि मनोहर मनोज (कटनी), वाह वाह फ़ेम राष्ट्रीय कवि सूरज राय सूरज (जबलपुर), सुश्री स्नेहा त्रिपाठी (रीवा), पंकज अभिराज (झांसी, डॉ.प्रशांत मिश्रा (आजमगढ़), हितेश विश्वा (झांसी), सुश्री शिखा रघुवंशी (गंजबासौदा), अथर्व तिवारी (कटनी) व मनोज मिश्रा (झांसी) आदि ने एक से एक बढ़ कर काव्य प्रस्तुतियां देते हुए स्वर्गीय सुरेन्द्र दुबे को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। सुकून शिवपुरी ने कहा- बरस ही जाते हैं बादल तुम्हारी यादों के, बला का ज़ोर है दिल की घटाओं में अब भी। भले ही ओढ़ ली ख़ामोशी आपने लेकिन, ठहाके गूॅंज रहे हैं फज़़ाओं में अब भी। कार्यक्रम के अंत में दो मिनिट का मौन धारण किया गया।
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