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Friday, September 19, 2025

सीआईएसएफ जवान बनकर गाड़ी बेचने के नाम पर 73,499 रुपए की ठगी, जयपुर एयरपोर्ट बुलाकर दिया धोखा


धोखेबाज ने सीआईएसएफ जवान बनकर हड़पे रूपए, नहीं हुई गाड़ी डिलीवर, इंस्टाग्राम से शुरू हुआ खेल

शिवपुरी-  जिले में एक व्यक्ति के साथ सोशल मीडिया के जरिए बड़ा धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। आरोप है कि ठग ने खुद को सीआईएसएफ जवान बताकर एक चार पहिया वाहन की बिक्री का झांसा दिया और ₹73,499 की मोटी रकम ऐंठ ली। इतना ही नहीं, आरोपी ने खुद को आर्मी व एयरपोर्ट सुरक्षा कर्मी के रूप में पेश कर पीड़ित परिवार को जयपुर एयरपोर्ट तक बुलवाया और गाड़ी देने के नाम पर लगातार पैसों की मांग करता रहा, लेकिन न गाड़ी दी और न ही पैसे लौटाए। पीड़ित ने अब पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर आरोपी पर एफआईआर दर्ज करने व साइबर सेल से जांच कराने की मांग की है।

झांसी रोड निवासी अफजल सिद्दीकी ने पुलिस अधीक्षक शिवपुरी करालय को दिए आवेदन में बताया कि 10 सितंबर को वह अपनी बहन की इंस्टाग्राम आईडी ‘चांदनी’ चला रहे थे। तभी उन्हें इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट दिखी, जिसमें नवीन राठौर नामक व्यक्ति ने अपनी मारुति ओमनी (वाहन क्रमांक MP13 BA 3521) बिक्री के लिए डाली थी। अफजल ने दिए गए नंबर 8279487485 पर संपर्क किया।

नवीन ने खुद को सीआईएसएफ जवान, जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर तैनात बताते हुए गाड़ी की फोटो, कागजात, आधार कार्ड, फौजी आईडी और पैन कार्ड भेजे। इन दस्तावेजों को देखकर अफजल को विश्वास हो गया और उन्होंने गाड़ी खरीदने का मन बना लिया। गाड़ी की कीमत ₹55,000 तय हुई और डिलीवरी जयपुर एयरपोर्ट पर देने की बात कही गई।

जयपुर बुलाकर रकम ऐंठी

13 सितंबर को अफजल के जीजा इंसाफुद्दीन और पिता इकरामुद्दीन गाड़ी लेने जयपुर एयरपोर्ट पहुंचे। नवीन ने गेट पास के नाम पर ₹3,100-₹3,100 दो बार, कुल ₹6,200 मांगे, जो अफजल ने अपने फोनपे से भेज दिए।

इसके बाद उसने बीमा व ट्रांसफर के नाम पर अलग-अलग किस्तों में ₹12,000 की और मांग की, जिसे अफजल ने भुगतान किया। ठग ने आर्मी की वर्दी में व्हाट्सएप वीडियो कॉल कर और भरोसा दिलाया कि वह वाकई सुरक्षाबल में कार्यरत है।

तेजी से बढ़ी पैसों की मांग

फिर नवीन ने ₹11,999 अतिरिक्त मांगे, जिसके लिए अफजल ने ₹6,999 और ₹5,000 भेजे।

फास्टैग के नाम पर ₹16,500, फिर अन्य खर्चों के नाम पर ₹11,500 और ₹15,000 की राशि भी अलग-अलग फोनपे अकाउंट में डलवाई। ये सभी अकाउंट अंकिता और सुनीता कैफे नाम से रजिस्टर्ड थे, लेकिन नवीन ने इन्हें अपना ही बताया। अंत में एयरपोर्ट से गाड़ी बाहर निकलवाने के लिए ₹300 भी वसूले गए।

कुल ₹73,499 देने के बाद भी न तो गाड़ी दी गई और न ही नवीन एयरपोर्ट पर पीड़ित के परिजनों से मिला। फोन करने पर वह टालमटोल करता रहा और बाद में मोबाइल बंद कर लिया। तब पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ। अफजल ने बताया कि इस पूरे प्रकरण में नवीन राठौर ने देश की आर्मी का झूठा प्रतिरूपण कर उनसे बड़ी ठगी की है।

पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर साइबर सेल के माध्यम से आरोपी को पकड़ने और उनकी रकम वापस दिलाने की गुहार लगाई है।

अफजल ने प्रमाणस्वरूप सभी व्हाट्सएप चैट, वीडियो कॉल स्क्रीनशॉट, गाड़ी के दस्तावेज और भुगतान रसीदें आवेदन के साथ संलग्न की हैं।

यह मामला जिले में बढ़ते साइबर अपराध की गंभीरता को दर्शाता है। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर फर्जी पहचान के माध्यम से ठगी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। पुलिस के लिए ऐसे मामलों में आरोपियों को पकड़ना बड़ी चुनौती बन गया है, खासकर तब जब ठग अलग-अलग फोनपे अकाउंट और नकली दस्तावेजों का उपयोग कर रहे हों।

विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की खरीद-फरोख्त करते समय व्यक्ति की पहचान और दस्तावेजों की सत्यापन जांच बेहद जरूरी है।

यदि समय रहते अफजल ने पुलिस या साइबर हेल्पलाइन से संपर्क किया होता तो इतनी बड़ी ठगी टल सकती थी। अब देखना यह होगा कि पुलिस किस तेजी से कार्रवाई करती है और क्या पीड़ित को उसकी मेहनत की कमाई वापस मिल पाती है या नहीं।

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