जैन समाज ने मनाया सामूहिक क्षमा वाणी महोत्सव,बच्चों ने नृत्य प्रस्तुति से दिया वर्तमान की विसंगति का संदेशशिवपुरी। जीवन में क्षमा मांगना आसान है लेकिन हृदय से क्षमा करना बेहद कठिन। जैन धर्म का क्षमा वाणी पर्व का यह महोत्सव हमें संदेश देता है कि हम जीवन में कैसी भी स्थिति क्यों ना हो यदि क्षमा भाव धारण कर ले तो हमारे जीवन की आधी कठिनाइयां वैसे ही समाप्त हो जाएंगे। और एक दूसरे के प्रति हम मन में कलस्था का भाव नहीं रखेंगे वर्णन साल में काम से कम एक बार क्षमा मांग कर हम अपनी गलतियों का भी परिमार्जन कर सकते हैं। यह बात जैन समाज द्वारा आचार्य विद्यासागर श्रमण संस्कृति संस्थान परिसर व्हीटीपी स्कूल के सामने आयोजित किए गए सामूहिक क्षमा वाणी महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी ने कही।
उन्होंने बताया कि विश्व में यदि जैन धर्म के सिद्धांत को सभी जन अपना लें तो सभी तरह की परेशानियों का हाल व्यक्ति को आसानी से मिल जाएगा।
आयोजन को संबोधित करते हुए जिला पंचायत सीईओ शोभित जैन आईएएस ने कहा कि भगवान महावीर कहते थे व्यक्ति जन्म से नहीं कम से महान बनता है और हमें जियो और जीने दो के सिद्धांत को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है यदि हम ऐसा कर सके तो सच्चे रूप में भगवान महावीर की अहिंसा और क्षमा को लोगों तक पहुंचा सकेंगे। आर्यन को संबोधित करते हुए पोहरी विधायक कैलाश कुशवाहा ने कहा कि राजनीति में कई बार एक दूसरे के प्रति कलुषता के भाव आ जाते हैं। लेकिन जैन धर्म का क्षमावानी का यह सिद्धांत हम सबको जीवन में एक दूसरे के प्रति द्वेष कम करने का संदेश देता है। जाने अनजाने में मुझे हुई गलतियों के लिए मैं भी क्षमा याचना करता हूं। इस अवसर पर स्वागत भाषण दिगंबर जैन महापंचायत के महामंत्री राजेश जैन राजू ने दिया जबकि आभार प्रदर्शन संयोजक अमित जैन टिंकल ने व्यक्त किया।
-एक दोहे के माध्यम से विद्वान ने बताई क्षमा वाणी की महत्ता
धर्म सभा को संबोधित करते हुए खनियाधाना से विशेष रूप से आयोजन में शामिल होने आए विद्वान आकाश जी ने कहा कि चार मिले 64 खिले, 20 रहे कर जोड़, सज्जन से सज्जन मिले, पुलकित रोम करोड़। अर्थात क्षमा मनी ऐसी होनी चाहिए की चार मील यानी एक आप और एक सामने वाला इन दोनों की चार नयन जब आपस में मिलते हैं तो आपके और सामने वाले के 32 और 32 दांत अर्थात 64 दांत खिल उठते हैं। और इस तरह से जब सज्जन से सज्जन की मुलाकात होती है तो एक व्यक्ति में करोड़ों रोम होते हैं दोनों के रोम क्षमा बानी के दौरान एक दूसरे से मिलकर प्रफुल्लित हो उठते हैं।
-बच्चों ने नृत्य प्रस्तुति से दिया वर्तमान की विसंगति का संदेश,महिलाओं की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां रहीं आकर्षण का केंद्र,
इस अवसर पर एक दर्जन से अधिक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र रहीं।जिसमें महिलाओं ने क्षमा धर्म और हिंदी दिवस के अवसर पर कई प्रस्तुतियां आयोजन के दौरान दीं । वहीं पाठशाला के बच्चों द्वारा दी गई सांस्कृतिक प्रस्तुति में मंदिर आने वाली महिलाओं की सामाजिक बुराई को प्रस्तुत किया गया। जिसमें किस तरह से भगवान की भक्ति के लिए सस्ते चावल और खुद को खाने के लिए बासमती चावल का उपयोग किया जाता है, इस पर व्यंग कसा गया। इस दौरान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और प्रकृति सहेजने पौधा रोपण जैसे कई सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र रहीं। इससे पूर्व चंद्र प्रभ जिनालय से भगवान की शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गो से निकली जो कार्यक्रम स्थल पर पहुंची जहां भगवान की शांति धारा और अभिषेक देखने के लिए हजारों लोग जुड़े। इस अवसर पर प्रेम स्वीट्स परिवार ने भगवान की शांति धारा और फुलमाल की बोली ली, जबकि दूसरी शांति धारा की बोली एन के जैन यूटी आई परिवार द्वारा ली गई।
-इनका कहना है
समाज की सामूहिक क्षमा वाणी महोत्सव इसीलिए मनाया जाता है ताकि वर्ष भर की गलतियों के लिए एक दूसरे से क्षमा मांग कर हम अपने भावों को पवित्र रखें। संपूर्ण जैन समाज के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारी राजनीतिज्ञ और अन्य समाजसेवियों ने आयोजन में जुड़कर क्षमा भाव धारण किया।
-चौधरी अजीत कुमार जैन, अध्यक्ष दिगंबर जैन महा पंचायत शिवपुरी,
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