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Friday, September 14, 2018

विधानसभा कोलारस में कमल खिलाने बदलना पड़ेगा प्रत्याशी

प्रमुख चेहरों में जितेन्द्र जैन गोटू,आलोक बिन्दल, वीरेन्द्र रघुवंशी के नाम उभरे


शिवपुरी- वर्ष 2013 में करीब 25 हजारो मतों से पराजित हुए भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन की चुनावी हार का बदला एक बार फिर से कोलारस में ही कांग्रेस ने 2018 के उप चुनाव में लिया जिसमें एक बार फिर कांग्रेस के दिवंगत स्व.रामसिंह यादव से लंबी पराजय का हार चख चुके देवेन्द्र जैन को उप चुनाव में भी स्व.रामसिंह के सुपुत्र महेन्द्र सिंह यादव से करीब 8 हजार मतों से हार का सामना करना पड़ा। बार-बार एक ही प्रत्याशी को लेकर कोलारस में भाजपा पार्टी जो निर्णय कर रही है उसे अब बदलने का समय आ गया है वर्ष 2018 के आम विधानसभा चुनावो में चेहरा बदलकर ही भाजपा अपनी नैया पार लगाने का कार्य कर सकती है अन्यथा वही रिपीट चेहरे के साथ परिणाम भी रिपीट ही आने वाला होगा। यह जनमानस में चर्चा का विषय है और जनता अंदरूनी रूप से अब चेहरा बदलने की मांग भी कर रही है ऐसे में कोलारस विधानसभा क्षेत्र मे जनाधार रखने वाले भाजपा प्रत्याशियों में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू, वरिष्ठ भाजपा नेता और कोलारस के पैतृक निवासी आलोक बिन्दल, पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ही ऐसे चेहरे है जो इस समय कोलारस क्षेत्र में चुनावी दृष्टि से सक्रिय बने हुए है। ऐसे में इन प्रमुख चेहरों में से किसी एक पर सहमति बनना अभी फिलहाल कहना जल्दबाजी होगा, इसके लिए सब्र की आवश्यकता है। 


बताना होगा कि कोलारस विधानसभा क्षेत्र यूं तो वैश्य समाज से ओतप्रोत माना जाता है लेकिन बदरवास क्षेत्र में यादव समाज की बहुलता होने के कारण यहां वैश्य, यादव, रघुवंशी व अन्य समाजों के बीच मतों का धु्रवीकरण होता है। हालांकि यादव समाज की एकजुटता का काफी गहरा प्रभाव दिवंगत स्व.रामसिंह यादव और देवेन्द्र जैन के बीच हुए 2013 के चुनावों में देखने को मिलता है जिसमें सभी यादव समाज और अन्य जातियों ने मिलकर पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन को 25 हजार से अधिक मतों से परास्त किया। लेकिन अब वर्तमान परिवेश में कांग्रेस के विधायक महेन्द्र सिंह यादव है बाबजूद इसके भाजपा को अब समय के साथ परितर्वन करने की आवश्यकता है यहां कोलारस क्षेत्र में सक्रिय रूप से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू भी अब अपनी सक्रियता बढ़ा रहे है वह दूर-दराज के ग्रामीण अंचलों और कोलारस विधानसभा में सतत संपर्क किए हुए है सुुत्र बतातेे हैै  इसी केे कारण सेे नकारात्मक रूप से जितेन्द्र जैन की छवि इस रूप में सामने आती है कि अभी कुछ समय पूर्व उनके कोल्ड स्टोरेज में रखी फसल को लेकर एक कृषक के साथ मारपीट की गई और बाद में यह मामला एफआईआर तक पहुंचा। सूत्ररो के अनुसार पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन के अनुज होने के कारण निष्क्रियता का ठप्पा उन पर लगा हुआ है वहीं दूसरी ओर जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर रहते हुए भी लोगों को संतुष्ट नहीं रख पाए, इसके अलावा उनकी आपराधिक कार्यशैली भी उनके टिकिट में रोड़ा अटका सकती है। वहीं चर्चा है कि पूर्व विधायक देवेन्द्र  जैन का जो विरोध है वह उनके ही अनुज जितेन्द्र जैन की कार्यशैली की वजह से ही है ऐसा लोग मानते है। 


वहीं जनाधार और स्थायित्व नेता के रूप में जनप्रतिनिधि की बात आती है तो उसमें साफ स्वच्छ और मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के नजदीकी आलोक बिन्दल का नाम सामने आते है वह अपने पैतृक राजनीतिक गुणों के कारण इस क्षेत्र में महारथ भी हासिल है और वह जमीनी स्तर पर अपनी काफी अच्छी पकड़ भी रखते है। आलोक बिन्दल भाजपा के वह नेता है जो अपनी बदकिस्मती से विधानसभा प्रत्याशी की सूची में शामिल तो रहे लेकिन दावेदार के रूप में प्रत्याशी घोषित नहीं हो सके, बात चाहे वर्ष 2008 के चुनाव की हो या 2013 अथवा उप चुनाव 2018 की इन तीनों ही चुनावों में आलोक बिन्दल का नाम सूची में शामिल रहा और ऐन समय पर प्रत्याशी बदलाव के कारण वह क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व करने से वंचित रह गए। अब एक बार फिर 2018 में आलोक बिन्दल का नाम प्रमुख प्रत्याशियों में शामिल है संभावना है कि इस बार के प्रत्याशी वह हो, लेकिन यह अभी समय के फेर में बंद है। 


कोलारस में एक और प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी भी क्षेत्र का जाना-पहचाना नाम है हालांकि पार्टी बदलकर कांग्रेस के बााद भाजपा में आना और अब क्षेत्र के बीच प्रत्याशी के रूप में खड़ा होना उनके लिए बड़ी चुनौती है बाबजूद इसके वह भी इस क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रहे है। पार्टी ने संगठन के तौर पर उन्हें अशोकनगर को प्रभारी और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य के रूप में मनोनीत किया है बाबजूद इसके वह आज भी कोलारस में अपनी सक्रियता निभाकर ग्रामीण अंचलों और कोलारस विधानसभा के नागरिकों के बीच अपनी पहचान बनाए हुए है। अब देखना होगा कि प्रमुख चेहरों में किसे आगामी समय में नेतृत्व की कमान मिलेगी फिलहाल तो सभी प्रत्याशी जमीनी स्तर से अपनी पकड़ मजबूत बनाने क्षेत्र के दौरों में व्यस्त है। 


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