शिवपुरी-गत दिवस विधानसभा चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी द्वारा रायशुमारी हेतु प्रदेश की 230 विधानसभाओं में नेताओं को भेजा गया था। इन रायशुमारी में 3-3 पैनलों के नाम लिए गए और एक लिफाफे में बंद कर इन्हें भोपाल में पार्टी मुख्यालय में खोला जाएगा जहां से विधानसभा प्रत्याशीयों की सूची बनाकर घोषित किया जाएगा। इसीक्रम में जिला शिवपुरी की पांचों विधानसभाओं के लिए रायशुमारी हेतु भाजपा से रायसिंह सेंधवा, दिलीप पटौदिया को शिवपुरी भेजा गया। स्थानीय मध्यदेशीय अग्रवाल धर्मशाला पर हुई इस रायशुमारी में यूं तो सभी विधानसभाओं में हालात सामान्य रहे लेकिन सर्वाधिक रूप से जोर कोलारस विधानसभा पर दिया गया। यहां कोलारस में भाजपा से मुख्य चेहरो में भाजपा नेता आलोक बिन्दल, जितेन्द्र जैन और वीरेन्द्र रघुवंशी का नाम प्र्रमुखता से लिया गया। सूत्रों की खबर है कि इन चर्चाओं में अव्वल रूप से आलोक बिन्दल ने बाजी मारी और उनके समर्थन में मौजूद भाजपा नेताओं ने आलोक के नाम पर सहमति जताते हुए पर्ची उनके नाम की बंद कर पेटी में डाली। हालांकि इस दौरान पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी और जितेन्द्र जैन के समर्थक भी मौजूद थे जिन्होंने भी अपनी ओर से प्रत्याशी चयन को लेकर इन्हें चुना और इनके नाम की पर्ची भी डाली। खबर है कि आलोक बिन्दल के अग्रवाल धर्मशाला में पहुंचने पर कई भाजपा नेताओं से चर्चा हुई और कोलारस में उन्हें ही सर्वाधिक रूप से पसंद किए जाने की चर्चाऐं होती रही। ऐसे में संभावना जताई गई है कि रायशुमारी दल को भी आलोक बिन्दल का नाम अन्य दावेदारों के मुकाबले अधिक नजर आया और उन्हेांने फीडबैक लेकर तैयारी कर यह बंद लिफाफे अपने साथ भोपाल ले गए।
बेदाग छवि और मिलनसार व्यवहार के धनी है आलोक बिन्दल
बार-बार चुनावों में प्रत्याशी चयन को लेकर बनने वाले पैनल में भाजपा की ओर से कोलारस क्षेत्र की विधानसभा को लेकर आलोक बिन्दल का नाम हर बार सामने आया और वह हर बार कहीं ना कहीं पार्टी के आदेशों और अपनी पूज्य नेता श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया के निर्देशन में दिए जाने वाले निर्णय को स्वीकार्य कर क्षेत्र में घोषित प्रत्याशी को विजयी बनाने के लिए एकजुट होकर कार्य करते है। ऐसे में अब एक बार फिर से कोलारस विधानसभा से आलोक बिन्दल का नाम उभरकर सामने आ रहा है जिसमें उनकी बेदाग छवि और मिलनसार व्यवहार उनकी छवि कोलारस से प्रत्याशी के रूप में बनती नजर आ रही है। वैसे भी आलोक बिन्दल कोलारस में सर्वमान्य नेता है और भाजपा कार्यकर्ताओं व क्षेत्रीय कोलारसवासियों से भी उनकी घनिष्ठता से किसी से छिपी नहीं है।
दल-बदल की छाप से प्रभावित हैं पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी
कोलारस विधानसभा क्षेत्र में भले ही पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी पुरजोर ताकत के साथ अपनी दावेदारी जता रहे हों बाबजूद वीरेन्द्र रघुवंशी पर दल-बदलू की छाप लगी हुई है जिससे वह काफी प्रभावित है जिसके चलते कई भाजपा नेता उन्हें स्वीकार तो करते है लेकिन उनकी स्वीकार्यता को पसंद नहीं करते। ऐसे हालात में उन्हें उम्मीदवार बनाकर विधानसभा चुनाव लडऩा भाजपा के लिए भी चुनौती साबित होगा। हालांकि वीरेन्द्र रघुवंशी विगत लंबे समय से क्षेत्र में क्षेत्रवासियों के लिए कार्य कर रहे हैं ऒर प्रदेश कार्य समिति सदस्य होने के चलते पार्टी के अधिकांश कार्यक्रमों में उनकी सहभागिता रहती है बाबजूद इसके इतना सब होने के बाद भी रायशुमारी के दौरान उनके समर्थन में कितने लोगों ने अपनी आवाज बुलंद की होगी इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता लेकिन संभावना कम ही है तो दूसरी ओर इस बात की आशंका है वीरेंद्र रघुवंशी को टिकट देने पर पूरी भाजपा वीरेंद्र रघुवंशी के खिलाफ खड़ी हो सकती है। सूत्र बताते है कि कांग्रेस से भाजपा में आये वीरेंद्र रघुवंशी के बारे में यह कहा जाता है कि वह कब किसके खिलाफ क्या बोल दें और किस से झगड़ा कर बैठे यह कोई नहीं जानता यह कहना गलत नहीं होगा कि आज भी वह कांग्रेस की मानसिकता से ग्रसित हैं और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच उनकी पकड़ बिल्कुल ढीली है यहां तक की कोलारस और बदरवास नगर पंचायत क्षेत्रों में उनके पास आज भी एक भी भाजपा समर्थक नहीं है।
बड़े भाई की हार का बदला छोटे भाई जितेन्द्र जैन लेने की जुगत में, लेकिन कैसे?
कोलारस विधानसभा क्षेत्र में एक बार 2013 के चुनावों में 25 हजार मतों से हार चुके देवेन्द्र जैन और फिर एक बार उप चुनाव 2018 में 8 हजार मतों से हार चुके देवेन्द्र आज भी अपनी दावेदारी को कमतर नहीं आंकते लेकिन देवेन्द्र जैन की हार ही उन्हें विधासभा चुनावों से बाहर हुए किए हुए है ऐसे में बड़े भाई देवेन्द्र जैन की हार का बदला अब छोटे भाई जितेन्द्र जैन लेने की जुगत में है लेकिन कैसे?यह एक बड़ा सवाल कोलारस में उछलकर सामने आया है। सूत्रों की खबर है कि बार-बार की हार और स्वयं की दबंगाई छवि के कारण जितेन्द्र जैन भी कुशल प्रत्याशशियों में नहीं गिने जा सकते है और जहां रायशुमारी की बात है तो उसमें भी जितेन्द्र जैन के नाम पर कई लोगो दबी जुबान में अस्वीकार्यता पर मोहर लगाए हुए थे हालांकि उसमें भी कई लोगों ने पर्ची भरकर रायशुमारी में जितेन्द्र जैन को चुना होगा इससे इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन यह भी देखने वाली बात होगी कि यदि जितेन्द्र जैन को उम्मीदवार बनाकर घोषित किया गया तो इसके परिणाम भी पूर्व के चुनाव की भांति ही निकलकर सामने आने की संभावना है। वहीं चर्चा है कि पिछले कुछ दिनों से तमाम भाजपा कार्यकर्ता इस बात को जानने के लिए उत्सुक हैं की जैन बंधुओं में अबकी बार देवेंद्र जैन दावेदारी कर रहे हैं या अनुज जितेंद्र जैन। परंतु जबसे अखवारों में मुख्यमंत्री निवास की खबर छपी है इनके समर्थक सदमे में है
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