-दिनारा में पंचकुण्डात्मक महायज्ञ का आयोजन, प्रतिदिन दी जा रही 21 हजार आहुतियां
शिवपुरी-धर्म प्रेमियों की नगरी दिनारा में भगवत दास जी महाराज के पावन सानिध्य में राधा कृष्ण मंदिर पुराना दिनारा पर चल रहे पंचकुण्डात्मक श्रीराम महायज्ञ में काशी विश्वनाथ से पधारे आचार्य श्री संदीप शास्त्री ने बताया कि नव दिवसिय महायज्ञ से किसी व्यकि विशेष का नही वल्कि धरती के समस्त प्राणी मात्र का कल्याण सहज ही सम्भव है । यज्ञ में सभी विद्वान बैदिक़ ब्राह्मणों द्वारा प्रतिदिन 21 हजार आहुतियो द्वारा मण्डपस्थ यज्ञनारायण भगवान की आराधना हो रही है । यज्ञ करने से देवता प्रसन्न होते है । देवताओं की प्रसन्नता से जलवृष्टि होती है । जलवृष्टि से सभी का कल्याण होता है । यज्ञ में धर्म का समस्त तत्व समाया रहता है । यज्ञ से पापों के नाश के साथ साथ कुसंस्कार नष्ट होते है और अग्नि के तपाये हुए सोने को तरह चित शुद्ध हो जाता है । यज्ञ में मंत्रोच्चारण से ध्वनि तरंगे निकलती है जिससे वायुमंडल शुद्ध होता है
यज्ञशाला की परिक्रमा से मिलता है पुण्य लाभयज्ञशाला की परिक्रमा का विशेष धार्मिक महत्व इसलिये औऱ बड़ जाता है कि यज्ञ आयोजन के दौरान यज्ञशाला में 33 कोटि देवी देवताओं का वास माना जाता है। यज्ञशाला की परिक्रमा दैहिक तप है । परिक्रमा से बाधाओ का नाश होने के साथ तीर्थ दर्शन के समान फल मिलता है । कस्बे में यज्ञ के मुख्य यजमान आरती जयजय वकील सहित बड़ी सख्या में धर्मप्रेमी यज्ञशाला की परिक्रमा कर धर्म लाभ ले रहे है।
शिवपुरी-धर्म प्रेमियों की नगरी दिनारा में भगवत दास जी महाराज के पावन सानिध्य में राधा कृष्ण मंदिर पुराना दिनारा पर चल रहे पंचकुण्डात्मक श्रीराम महायज्ञ में काशी विश्वनाथ से पधारे आचार्य श्री संदीप शास्त्री ने बताया कि नव दिवसिय महायज्ञ से किसी व्यकि विशेष का नही वल्कि धरती के समस्त प्राणी मात्र का कल्याण सहज ही सम्भव है । यज्ञ में सभी विद्वान बैदिक़ ब्राह्मणों द्वारा प्रतिदिन 21 हजार आहुतियो द्वारा मण्डपस्थ यज्ञनारायण भगवान की आराधना हो रही है । यज्ञ करने से देवता प्रसन्न होते है । देवताओं की प्रसन्नता से जलवृष्टि होती है । जलवृष्टि से सभी का कल्याण होता है । यज्ञ में धर्म का समस्त तत्व समाया रहता है । यज्ञ से पापों के नाश के साथ साथ कुसंस्कार नष्ट होते है और अग्नि के तपाये हुए सोने को तरह चित शुद्ध हो जाता है । यज्ञ में मंत्रोच्चारण से ध्वनि तरंगे निकलती है जिससे वायुमंडल शुद्ध होता है
यज्ञशाला की परिक्रमा से मिलता है पुण्य लाभयज्ञशाला की परिक्रमा का विशेष धार्मिक महत्व इसलिये औऱ बड़ जाता है कि यज्ञ आयोजन के दौरान यज्ञशाला में 33 कोटि देवी देवताओं का वास माना जाता है। यज्ञशाला की परिक्रमा दैहिक तप है । परिक्रमा से बाधाओ का नाश होने के साथ तीर्थ दर्शन के समान फल मिलता है । कस्बे में यज्ञ के मुख्य यजमान आरती जयजय वकील सहित बड़ी सख्या में धर्मप्रेमी यज्ञशाला की परिक्रमा कर धर्म लाभ ले रहे है।
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