अमोला पुलिस ने भी नहीं सुनी फरियादी, अब एएसपी से लगाई न्याय की गुहारशिवपुरी-शासकीय भूमि पर ५० वर्षेां से काबिज होकर प्रतिमाह उसके जुर्माने की राशि अदा करने के बाद भी ग्राम के ही दबंग धोबी परिवार द्वारा बंदूकों की दम पर पीडि़त परिवार के साथ ना केवल मारपीट की गई बल्कि पुरूष वर्ग होने की अपनी अश£ील हरकत कर पीडि़त परिवार के साथ अभद्रता भी की गई जब मामले को लेकर पीडि़ता पुलिस थाना अमोला पहुंची तो अमोला पुलिस ने भी उनकी फरियाद नहीं सुनी और उन्हें थाने से चलता कर दिया। जब स्थानीय स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हुई तो अपने व अपने परिवार की जान-माल और दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की आस लगाकर यह परिवार जिला मुख्यालय स्थित एएसपी कार्यालय पहुंचे जहां एएसपी ने उचित कार्यवाही का भरोसा दिया है।
अपने शिकायती आवेदन में पीडि़ता राजो बाई पत्नि दयाराम कुशवाह निवासी ग्राम मामौनीकलां ने बताया कि वह ५० वर्षों से अपने परिवार के साथ ग्राम मामौनीकलां के भूमि सर्वे नं.६४/१में मकान निर्मित कर निवास कर रही थी और इस कुशवाह परिवार द्वारा बकायदा शासन के जुर्माने की राशि भी समयानुसार जमा की जाती रही बाबजूद इसके ग्राम के ही दबंग प्रभु धोबी व उसका पुत्र कल्ला धोबी द्वारा पीडि़त के परिवार पर कोई पुरूष सदस्य ना होने की अनुपस्थिति में जबरन जेसीबी चलाकर भवन तोड़ दिया और बाद में अपने पुरूष वर्ग होने के चलते अश£ील इशारे करने लगा और महिलाओं व बच्चों के साथ गाली-गलौज कर मारपीट की गई।
यह सब धोबी परिवार के द्वारा बंदूकों की दम पर किया गया जिससे पीडि़त परिवार भय के वातावरण में अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहा था और सब तहस-नहस होता हुआ नजर अपनी आंखों के सामने देखने को मजबूर हुआ। जब इस घटनाक्रम को लेकर रोजबाई अमोला थाने शिकायत करने पहुंची तो यहां पुलिस ने पीडि़त की फरियादी सुने बगैर ही उससे सादा कागज पर हस्ताक्षर कराकर उसे घर जाने की नसीहत दे दी और कहीं और शिकायत ना करने को लेकर धमकाया भी।
ऐसे में जब पुलिस से भी इस पीडि़त को न्याय ना मिला तो यह पीडि़ता राजोबाई अपने परिवार के साथ जिला मुख्यालय स्थित एएसपी कार्यालय पहुंची यहां एएसपी प्रवीण भूरिया को पूरा मामला बताया और न्याय की गुहार लगाई। जिस पर एएसपी ने तत्काल मामले को गंभीरता से लेते हुए इस मामले में अमोला पुलिस को उचित कार्यवाही के निर्देश दिए और पीडि़ता की शिकायत पर प्रभु धोबी व कल्लू धोबी के विरूद्ध मामला पंजीबद्ध किए जाने की बात कही। जब यह आश्वासन मिला तब कहीं जाकर पीडि़ता को साहस मिला और वह अपने ग्राम पहुंच सकी।
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