व्ही.एस.भुल्ले
भैया-गर जीवन में भ्रष्टता भी कोई विषय है तो म्हारा तो बेड़ा गरक होना तय है मगर अफसोस तो म्हारे को बड़ा यह है कि हमारे जीवन की दिशा-दशा जो भी हो मगर झुण्डों में विभक्त उन जीवनों का क्या जो किसी भी सीरत-सूरत में जिंदा रहने संघर्षरत ही नहीं संघर्षशील है तो कुछ शांतचित्त भाव से अभी भी शांत रह स्वच्छंद समृद्ध खुशहाल जीवन की तलाश में शांत बैठे है, क्या वाक्य में जीवन की दिव्यता, भव्यता, सार्थकता इसी में निहित है।
भईये-के थारे को मालूम कोढ़ी, जीवन भी कई प्रकार के इस प्रकृति में निहित है जैसे पेड़-पौधे वृक्ष, पशु-पक्षी, जानवर, जल, नभ, थलचर और मानव, तने कौन से जीवन की बात करना चाहे, जरा खोलकर बता।
भैया- के थारे को मालूम कोढ़ी, कभी म्हारी महान संस्कृति, संस्कार की महान इंडस्ट्रीज से एक महान गीत महान हुआ था कि मानो तो मैं गंगा मॉं हूं ना मानो तो बहता पानी, फिर म्हारे महान वीर भीष्म पितामह की मातश्री का नाम भी तो गंगा था जिसके पवित्र जल ने असंख्य जीवनों को पाला, पोसा और सींचा है और आज मॉं गंगा की पवित्रता, उसका जीवनदायिनी स्वभाव आज भी जिंदा है मगर आज मानव का जमीर क्यों मर चुका है, जिसका कर्तव्य विमुख होता स्वभाव आज सभी जीवनों के संकटों का कारण बना हुआ है।
भईये-तने को बाबला से, जब मानव जैसी जीवन को विधि के विधान और विधान पर लिखे शास्त्र जीवन के सत्य से उसे अवगत नहीं करा पाए तो फिर तने किस खेत की मूल है कि थारे को मालूम कोढ़ी, कि इस स्वार्थवश दौर में धन संपदा और सत्ता हथियाने का सैकड़ों हजारों वर्षों से मानव की जीवन की लाशों पर चढ़ मुकाम पाने का दौर चल रहा है। अगर ऐसे में भूत और भविष्य के ज्ञान से अनभिज्ञ वर्तमान कलंकित हो रहा है तो थारे जैसे गांव के गवई-गंवार का कलेजा क्यों फट रहा है, जन्म कल्याण और सर्व कल्याण के दौर में तने तो यूं ही बाबला हो रिया से। वर्तमान में भी और शेष जीवन कैसे समृद्ध खुशहाल बने इसके बारे में सोच के थारे को मालूम कोढ़ी कि कोरोना अभी गया नहीं और कोरोना भगाने का इंजेक्शन अभी तक बना नहीं और थारे को म्हारा समृद्ध खुशहाल जीवन आड़े आवे।
भैया-मने समझ लिया थ्हारा इशारा, अब ना तो तने झुण्डधारी जीवन की चिंता है और ना ही गैंग गिरोह बंध सियासत की चिंता, मने तो म्हारे गौवंश की चिंता खाए जावे जिसका जल, जंगल, जमीन छीन मानव जगत आज विज्ञान के रथ पर सवार अपने सामर्थ पुरूषार्थ का परचम लहराने में स्वयं पर गर्व गौरव महसूस कर रहा है मगर मने म्हारे मानव जीवन पर गर्व गौरव जब महसूस होगा तब सर्व कल्याण और समस्त जीवन जगत का जीवन स्वच्छंद समृद्ध और खुशहाल होगा।
जय स्वराज
No comments:
Post a Comment