अब चूंकि मतदान का दिन है और हमें सोच-समझकर मतदान निर्भिक होकर करना है इसलिए लोकतंत्र के मालिक मतदाता को अपने कर्तव्य निर्वहन के कर्म, मानव धर्म क्षेत्र में निर्वहन के लिए आगे बढ़ना होगा और अपने-अपने मतदान केन्द्र पहुंच अपनी बुद्धि विवेक समझ सामर्थ पुरूषार्थ की मन में प्रतन्चा खींच अपनी मत गोत्र की सरकार से सुनिश्चित करो कि हमें कंटक, संकटपूर्ण जीवन चाहिए या सुरक्षित समृद्ध खुशहाल जीवन चाहिए मगर यह तभी संभव है जब हम मत, वोट देते वक्त यह याद रखें कि हमारा जीवन सुरक्षित समृद्ध खुशहाल बनाने में कौन व्यक्ति सारथी सहयोगी और सहायक हो सकता है। हमें उस वक्त भूलना होगा कि हमारे सामने किसका सामर्थ शक्ति क्या है? कौन कितना बड़ा सामर्थशाली है? क्योंकि आजादी के 72 वर्षों में स्वार्थवश मदमुग्ध अंर्तमुखी सियासत ने हमारा ही नहीं हमारी पूर्व व वर्तमान पीढ़ियों का बड़ा नुकसान किया है और हमारा समृद्ध खुशहाल सुरक्षित जीवन का भविष्य आज भी अधर में अटका पड़ा है। अब हमें अपने बहुमूल्य मत के माध्यम से यह निर्णय अपने और अपने बच्चे, बुजुर्ग और इस महान राष्ट्र नगर, गांव, गली की सुरक्षा समृद्धि खुशहाली की खातिर सच्चे-अच्छे जनसेवक को चुनने पर लेना है। जिससे एक सजग मानव नागरिक मतदाता होने का हम प्रमाण दे स्वयं के जीवन की सार्थकता सिद्ध कर प्राकृतिक संपदा और क्षीर-नीर की संस्कृति शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य से समृद्ध इस राष्ट्र की सिद्धता समृद्ध भू-भाग पर सिद्ध करें। यही हमारी सार्थकता होगी।
जय स्वराज
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