राधाकिशन सिंघल फाउण्डेशन द्वारा दुष्यंत कुमार की पुण्यतिथि पर कवि सम्मेलन का आयोजनशिवपुरी। आज संसद से लेकर सड़क तक लोग बात बात पर दुष्यंत के शेर उदधृत करते हैं इससे ही दुष्यंत की प्रासंगिकता सिद्ध हो जाती है वे सम्वेदनाओं के कवि थे, उन्होंने 42 वर्ष की अवस्था मे ही नाटक उपन्यास हिंदी कविता रिपोर्ताज व अन्य विधाओं में बहुत लिखा, परन्तु हिंदी गजल के प्रवर्जक के रूप में ही उनकी पहचान है। उक्त उद्गार बीते दिवस दुष्यंत कुमार की पुण्यतिथि पर श्री रामकिशनसिंहल फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ लखनलाल खरे ने व्यक्त किये।
दुष्यंत के उपन्यास का नाट्य रूपांतर कर उसे मंचित करने वाले वरिश्ठ नाटय निर्देषक एवं साहित्यकार दिनेश वशिष्ठ ने अपने अनुभव साझा किए। वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार प्रमोद भार्गव ने दुष्यंत संग्रहालय भोपाल पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन पर पहली पीएचडी शिवपुरी के हरिचरण शर्मा चिंतक ने डॉ परशुराम शुक्ल विरही के निर्देशन में की थी। युसुफ अहमद कुरेषी त्रिलोचन जोशी, जाहिद खान और विनय प्रकाश जैन नीरव ने भी दुष्यंत की रचनाधर्मिता पर प्रकाश डाला।
संस्था के सचिव व नई गजल अंतरराष्ट्रीय त्रैमासिक पत्रिका के सम्पादक डॉ महेंद्र अग्रवाल ने दुष्यंत की 52 गजलों को शास्त्रीय रीति से निरूपित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शकील नश्तर ने दुष्यंत के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधृत विस्तृत आलेख का वाचन किया। देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी पंडित मदनमोहन मालवीय तथा विख्यात पत्रकार बनारसीदास चतुर्वेदी के जन्मदिन पर उनका भी पुण्य स्मरण किया गया।
इस अवसर पर डॉ मुकेश अनुरागी के संचालन में सम्पन्न हुई। काव्यगोष्ठी में अवधेश सक्सेना, इशरत ग्वालियरी, विजय भार्गव, डॉ महेंद्र अग्रवाल, राजकुमार चौहान भारती, अखलाक खान, इरशाद जालौनवी, शरद गोस्वामी, अजय जैन अविराम, विनय प्रकाश जैन नीरव, दिनेश वशिष्ठ, डॉ लखनलाल खरे, डॉ मुकेश अनुरागी, रमेश वाजपेयी, रामकृश्ण मौर्य, प्रकाशचंद्र सेठ तथा शकील नश्तर ने अपना श्रेष्ठ काव्यपाठ किया। आभार प्रदर्शन अखलाक खान ने किया।
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