पिता की पुण्यतिथि पर कवि गोष्ठी सम्पन्न, करैरा के साहित्यकारों ने किया कविता पाठशिवपुरी/करैरा-स्थानीय साहित्यकारों ने मुंशी प्रेमचंद कालोनी करैरा में साहित्यकार सतीश श्रीवास्तव के निवास उनके पूज्य पिता जी स्व. ग्यासीराम श्रीवास्तव की पुण्यतिथि पर एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम में अध्यक्षता प्रसिद्ध गीतकार घनश्यामदास योगी द्वारा की गई तो वहीं मुख्य अतिथि के रूप में एयरफोर्स से सेवानिवृत्त राजबली सिंह हैदराबाद उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि समाजसेवी सुरेश बंधु और बलराम धाकड़ पटवारी उपस्थित रहे। कवि गोष्ठी में वरिष्ठ गीतकार घनश्याम दास योगी, प्रभु दयाल शर्मा, सतीश श्रीवास्तव, प्रमोद गुप्ता भारती, डॉ. राजेन्द्र गुप्ता, रमेश चन्द्र बाजपेयी, डॉ. ओमप्रकाश दुबे, सौरभ तिवारी सरस, विजेंद्र सिंह, सविता सिंह, श्रुति सिंह,नीरज श्रीवास्तव,पंकज श्रीवास्तव के साथ बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे। समस्त साहित्यकारों ने मां सरस्वती का पूजन किया तत्पश्चात कविताओं के माध्यम से समाज को जागरूक करने वाली कविताएँ सुनाकर मंत्र मुग्ध कर दिया।
सर्वप्रथम गीतकार सौरभ तिवारी सरस ने मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की,
सात स्वरों के रस में भीगी, वीणा बजाओ माँ, सूने मन के अंधकार में, प्रज्ञा दीप जलाओ माँ।
तत्पश्चात प्रमोद गुप्ता भारती ने पिता को समर्पित बहुत प्रसिद्ध कविता प्रस्तुत की...
कभी न कंधे थकें पिता के, पांव कहाँ रुकते हैं, पिता के सम्मुख नतमस्तक हो, परमपिता झुकते हैं।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि समाजसेवी सुरेश बंधु ने अपने उदबोधन में आयोजन की प्रसंशा की, उन्होंने कहा कि गोष्ठी में गहराई से परिपूर्ण कविताएँ पढ़ी गईं हैं, जब हम किसी पुण्यात्मा की पुण्यतिथि पर ऐसे आयोजन करते हैं तो साहित्य में गहराई आना स्वभाविक हो जाता है।
स्व. ग्यासीराम श्रीवास्तव ने पवित्रता से जीवन जिया है और जब हम श्रेष्ठता का जीवन जीते हैं तो अपनी आगामी पीढयि़ों के लिए आदर्श स्थापित करके जाते हैं। मुख्य अतिथि राजबली सिंह ने शानदार आयोजन की तारीफ की और अपेक्षा व्यक्त की कि समाज में इस प्रकार के आयोजन होने चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समाजसेवी गीतकार घनश्यामदास योगी ने अपने सारगर्भित उदबोधन दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रमोद गुप्ता भारती ने किया तो वहीं आभार प्रदर्शन नीरज श्रीवास्तव ने किया।
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