कोर्ट रोड़ स्थित आराधना भवन में विशेष प्रवचनों में मॉं विषय को लेकर दिए आर्शीवचन
शिवपुरी- मॉं की गोद में रखकर जो शिक्षा पाई उसकी कोई होड़ नहीं, यह पंक्तियां स्वामी विवेकानंद की है जो हमें बताती है कि एक मॉं की गोद में ही सारा संसार समाया है, उसके जैसा दूसरा संसार में कोई नहीं, लेकिन आज वर्तमान के इस युग में देखने में आ रहा है कि कहीं ना कहीं मॉं का तिरस्कार ही उसकी संतान कर रही है, कारण जब सामने आता है तो पता चलता है, आज बच्चों में संस्कारों की कमी है वह पश्चिमी सभ्यता की ओर जा रहे है जबकि पूर्व समय में प्रात: काल होते ही माता-पिता के चरणों को छूकर आर्शीवाद लेते थे लेकिन आज देखने में आया है कि मनुष्य एक ओर जहां भोजन कर रहा है तो दूसरी ओर उसके हाथों में टीव्ही का रिमोर्ट है और वह कार्टून देख रहा है, इससे प्रतीत होती है कि वह भी कार्टून की तरह ही हो गया है,
यह बदलाव अपने आप से करें, जब भी भोजन करें तो शांत चित्त होकर प्रसन्नचित्त होकर ही भोजन ग्रहण करें, पहले अपने माता-पिता को फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें ताकि घर में माता-पिता का आर्शीवाद स्नेह बना रहे, जिन घरों में मॉं का सम्मान नहीं होता है वह घर कभी सुखी नहीं हो सकता, इसलिए अपनी मॉं का सम्मान करें और अन्य लोगों को भी प्रेरणा दें। जीवन में मॉं की इस महिमा पर रविवार को स्थानीय कोर्ट रोड़ स्थित आराधना भवन में मॉं विषय को लेकर विशेष आर्शीवचन दिए चार्तुमास कर रही साध्वी प.पू.अमीपूर्णा श्री जी म.सा. जिन्होंने जैन धर्म के अनुसार मॉं की महिमा का बखान विभिन्न किस्से-कहानियों का श्रवण कराते हुए किया। मॉं की महिमा को लेकर श्रीमती सुमिता कोचेटा के द्वारा मॉं पर आधारित गीत की प्रस्तुति दी गई।
प.पू.अमीपूर्णा श्री जी म.सा. ने मॉं की महिमा पर आर्शीवचन देते हुए कहा कि आज संस्कारों की कमी के कारण भौतिकवाद हावी है, हमें इसे बदलने के लिए अपने घर से ही शुरूआत करनी होगी, अपने बच्चों को संस्कारवान बनाऐं और संस्कार सिखाए प्रदान करें कि बच्चे जब भी स्कूल जाऐं तो अपने माता-पिता के चरण छूकर जाऐं, बेटा-बेटी में कोई भेदभाव ना करें, आज बच्चे पाठशाला से दूर होते जा रहे है, पहले जिन शासन की पाठशाला में बच्चों को संस्कारवान बनाए जाने की शिक्षा प्रदान की जाती थी लेकिन आज बच्चे ही सुबह 7 बजे से लेकर सायं 4 बजे तक ऐसे व्यस्त रहते है जैसे सरकारी ड्यूटी की तरह जॉब पर जा रहे है, पाठशाला से दूर होने के कारण भी बच्चे संस्कारविहीन हो रहे है, इसलिए इन्हें पुन: संस्कारित करने के लिए हरेक जिन पाठशाला में बच्चें को जाना आवश्यक है, समय निकालकर बच्चों को पाठशाला जरूर भेजें।
प.पू.अमीपूर्णा श्री जी म.सा. ने बताया कि मॉं का दूध तो पवित्र गंगोत्री के समान है, मॉं की हर जगह पूजा होती है, आरती होती है, पुत्र-कुपुत्र हो सकता है लेकिन मॉं कभी कुमाता नहीं हो सकती। मॉं धैर्य रखती है जब वह 09 माह तक गर्भ में शिशु के अपने गर्भ में रखकर लालन-पालन करती है, मॉं क्षमा की मूर्ति होती है, पिता जब डांटता है तो वह मॉं ही होती है जो उसको दुलार कर पिता की डांट से बचाती है, इसीलिए मॉं ममता का सागर है।
कहानी का स्मरण कराते हुए प.पू.अमीपूर्णा श्री जी म.सा. ने बताया कि एक पिता की दो संतान थी लेकिन तीसरी संतान भी जब गर्भ में आ गई तो उसने पति से कहा जिस पर पति ने गर्भ गिराने को कहा और पति-पत्नि में तीसरी संतान को लेकर वाद-विवाद होना लगा, आखिरकार पत्नि मानकर डॉक्टर के पास पति के साथ पहुंचे तो वहां डॉक्टर ने भी कहा कि आप जैन हो, तिलक लगात हो, जिन शासन को मानने वाले हो, ऐसे कैसे गर्भ गिराकर यह पाप करा सकत हो, इस पर दंपत्ति ने आखिरकार तीसरी संतान को जन्म दिया और जब धीरे-धीर लालन-पालन हो तो एक दिन उस दंपत्ति का बड़ा बेटा विराट सागर जी के रूप में आचार्य पद पर विभूषित हुए, छोटा बेटा भी दीक्षित होकर आचार्य बने और मॉं स्वयं वैराग्य धारण कर सिद्धीपूर्णा श्री जी म.सा. के रूप में प्रसिद्ध हुई और जब तीसरी संतान जिसे वह इस संसार में लाना नहीं चाह रहे थे, वह संतान एक बड़ा डॉक्टर के रूप में पहचाना गया। यदि ऐसी ही संताने हो तो कभी वृद्धाश्रम जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और घर-घर खुशियों का द्वार होगा।
कोचेटा परिवार ने लाभार्थी बन कराया एकासना, 24 एवं 27 को भी होंगें धार्मिक आयोजन
आराधना भवन परिसर में जैन धर्म के अनुसार चार्तुमास में एकासना करने वाले श्रद्धालुओं के लिए लाभार्थी बनकर दीपक एकासना का आयोजन किया। इस दौरान लाभार्थी शिखरचंद, तरूण, अरूण, अभय कोचेटा परिवार के द्वारा जिन शासन अनुसार पूजा-पाठ करते हुए दीपक प्रज्जवलित कर एकासना कराते हुए पुण्य लाभ अर्जित किया गया। एकासना में सभी थाली साफकर, गर्म पानी, आदि के नियम लिए गए और सभी एकासना करने वालों के लिए वात्सल्य भोज कराया गया। आगामी 24 जुलाई को सागरानंद जी म.सा. का 151वां जन्मोत्सव 15 दिन के अद्र्वपदमासन के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें बच्चों के द्वारा भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी, इसके साथ ही गुणानुवाद सभा का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही 27 जुलाई को धर्म की प्रभावना को बढ़ाने के लिए आगम सभी को प्रदाय किए जाऐंगें, लाभार्थी गुगलिया परिवार होगा जिनके द्वारा घर-घर पूजन करने के लिए ईश्वर साक्षात के रूप में आगम का वितरण किया जाएगा।
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