शिवपुरी- शिवपुरी और शिवपुरी अंचल के साहित्यकारों का मिलन समारोह पावस गोष्ठी का आयोजन शहर के छतरी रोड स्थित जगन्नाथ रेस्टोरेंट में संपन्न हुआ। समारोह साहित्यकारों द्वारा साहित्यकारों के लिए था,सुबह 10 :00 बजे सभी साहित्यकारों के जलपान के साथ आयोजन प्रारंभ हुआ,दूसरी पाली समारोह की मुख्य कड़ी कवि सम्मेलन का आयोजन,जो अजय जैन अविराम के कुशल और चुस्त संचालन मे किया गया। करैरा से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय घनश्याम योगी की अध्यक्षता,यूसुफ हाजी अहमद,राजेंद्र श्रीवास्तव,और इशरत ग्वालियरी जी के विशिष्ट आथित्य में हुई, कवि सम्मेलन का शुभारंभ शिवकुमार राय द्वारा पढ़ी सरस्वती वंदना से हुई,इसके बाद राकेश भटनागर भ्रमर द्वारा अपने काव्यपाठ मे सुनाया सावन मन को भा रहा ठंडी चले बयार।
हरी भरी वसुधा लगे अनुपम है संसार। वही अरुणेश रमन ने राष्ट भक्ती से उपस्थित जन को जोड़ा, अगले क्रम में राधामोहन समाधियां ने कहा आती है तस्वीर तुम्हारी तो दिल में एक चाह होती है। पहुंचने पर पास मगर एक वीरान राह होती है। अवधेश सक्सेना जी ने अपनी भाव अभिव्यक्ति मे कहा झर रहे झरने जहाँ भी, चल ज़रा देखें अभी ।मन करे तो खूब नाचें, क्यों भला तरसें अभी ।जिसे सभी ने सराहा व्यंग पढ़ते हुए राजकुमार चौहान ने पढ़ा सदाचार की पीठ पर, बढ़ते नित नित घाव।फिर भी संसद कह रही, रहिए आप उदार।आयोजन मे नवांकुर कवियत्री मृदुला नामदेव ने कृष्ण को भाव अर्पित करते हुए सुनाया"राधा केवल नाम नहीं है, यह तो एक आधारशिला है।स्वयं प्रेरणा पुंज कृष्ण की, प्रेयसी का तो नाम मिला है।
वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद अनुज ने पढ़ा चमकते झिलमिलाते हैं तुम्हारे नाम का अक्षर ।मुझे बेहद सताते हैं तुम्हारे नाम के अक्षर । सभी ने सुन तालियों से सराहा,शरद गोस्वामी ने राष्ट्रीय तेवर रखते हुए सुनाया,कब तक तुम्हें जगाए कोई त्यागो निंद्रा रोज उठो ,समय नहीं है अब सोने का हे धरती के बोझ उठो।हेमलता चौधरी ने कहा राष्ट्रवालों से कहना है ये राष्ट्र का,राष्ट्र को राष्ट्रप्रहरी सजग चाहिए।जिसे सभी ने सराहा।
शिवकुमार राय ने अपने काव्य भाव में कहा कह न सके हम अपनी जुबाँ से, बातें ही कुछ ऐसी थीं lदिल की बातें दिल में रह गईं, बातें ही कुछ ऐसी थीं संचालन कर रहे अजय जैन अविराम ने जैन संतों को अर्घ समर्पित करते हुए सुनाया " है हाथ मे कमंडल, पीछी मयूर वाले, पुरुषार्थी प्रबल जो, भावी यही जिनाले। आचरण ये उजाले..जिसे सुन अध्यक्षता कर रहें आदरणीय घनश्याम योगी जी ने स्वयं अपने हाथों से माला पहना आशीर्वाद प्रदान दिया। वरिष्ठ साहित्यकार विनय प्रकाश नीरव ने सुनाया चुप्पियां चिपकी हुई हैं होंठ पर,गाहे-बगाहे दस्तकों में प्यास के टुकड़े।
वरिष्ठ नाटककार वाकपटुता के धनी आयोजन के मार्गदर्शक दिनेश वशिष्ठ जी ने अपने उद्गार रखते हुए पावस गोष्ठी के प्रारंभ से लेकर आज तक की यात्रा का पूरा वृतांत नई पीढ़ी को बताया ,जिससे नई पीढ़ी के लिखने पढ़ने वाले साहित्यकार आगे इस परंपरा को अनवरत रख सकें। आदरणीय ख्याती प्राप्त नवगीत गजलकार डा महेंद्र अग्रवाल जी ने भी अपने अनुभव और संघर्ष बताये, कि कम संसाधनों में किस तरह तरह वो इस गोष्ठी को आयोजित किया करते थे।
अध्यक्षता कर रहे गौतम जी ने तिरंगा और राष्ट भक्ती की प्रेरणादाई रचना पढ़ी। आयोजन मे महती भूमिका निभाने वाले अशोक मोहते जी ने भी शानदार रचनाएं सुनाए। इसी तारतम्य मे सभी वरिष्ठों की उपस्थिति में अजय जैन अविराम और राजकुमार चौहान को इस गोष्ठी को अनवरत चलाने के लिए जिम्मेदारी की घोषणा की गई। आयोजन मे साहित्यिक संस्था बज्मे उर्दू के सदर आफताब अलम के स्वास्थ्य कारणों के कारण उस्ताद शायर इशरत ग्वालियरी को नए सदर बनाए जाने की घोषणा भी यूसुफ हाजी, डॉ महेंद्र अग्रवाल,याकूब साबिर और समस्त साहित्यकारों की उपस्थिति में की गई।
कवि सम्मेलन मे राधे श्याम सोनी,राम कृष्ण मौर्य,करैरा से सौरभ तिवारी, प्रभु दयाल शर्मा, रमेश वाजपेई,कल्पना सिनोरिया बसंत श्रीवास्तव शिशु रोग विशेषज डॉ निसार अहमद प्रकाश चंद सेठ जी याकूब साबिर देवेंद्र शर्मा,त्रिलोचन जोशी विवेक वाजपेई सतीश दीक्षित किंकर जी,राधेश्याम सोनी जी ने भी अपनी उम्दा रचनाओं का पाठ कर आयोजन को चिरस्मरणीय बना दिया। आभार प्रदर्शन आदरणीय दिनेश वशिष्ठ जी द्वारा किया गया।अंत में सभी उपस्थित साहित्यकारों के सामूहिक भोज के साथ आयोजन पूर्णता को प्राप्त हुआ।
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