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Saturday, September 22, 2018

मनुष्य नहीं कर सकता परमात्मा के आनंद का मूल्यांकन : आचार्य सोमदेव शास्त्री

श्रेष्ठ मनुष्य की परिकल्पना को साकार किया आर्य समाज ने, समापन आज होंगें विशेष कार्यक्रम


शिवपुरी-क्या कभी दूसरों को दु:ख देकर स्वयं सुखी हो सकते हो, क्या कभी दुर्बल को सताकर स्वयं बलवान हो सकते है जबाब होगा नहीं, यही तो वेदों ने बताया है कि मनुष्य कितना भी कर लें लेकिन परमात्मा के आनंद का मूल्यांकन नहीं कर सकता, क्योंकि वेद बताते है कि दूसरों के दु:खों को दूर कर उसे सुख प्रदान करना ही सही अर्थों में वेदों का ज्ञान है, काम करो, व्यापार करो लेकिन कभी ऐसा मत करो कि आपकी जीव्हा वाणी से किसी को कोई नुकसान पहुंचे, परमात्मा वहीं अपनी कृपा बरसाता है जहां ध्यान होता है, ज्ञान होता है और सबका मान-सम्मान होता है इसलिए श्रेष्ठ बनो, श्रेष्ठ सुनो और श्रेष्ठ कार्य करो तभी यह मनुष्य जीवन परमात्मा के समान माना जाएगा। मनुष्य प्राणी की यह व्याख्या की मुम्बई से आए प्रसिद्ध आर्य वेदों के ज्ञानी आचार्य सोमदेव शास्त्री ने जो स्थानीय आर्य समाज मंदिर में वेद प्रचार सप्ताह के तहत आयोजित संध्या(प्रवचन) कार्यक्रम के बीच उपस्थित आर्यजनों को धर्माेपदेश दे रहे थे। इस दौरान आर्य समाज के वरिष्ठजन समीर गांधी, हनी हरियाणी, विशाल भसीन, नमन विरमानी, साकेत सोनी, मनीष, कपिल मंगल आदि सहित अन्य आर्य पुरूष एवं महिलों ने ध्यान, महर्षि दयानन्द के जीवन और वर्तमान युग में किस प्रकार से परमात्मका की स्तुति भक्ति की जाए आदि जिज्ञासाओं का समाधान भी आचार्य सोमदेव शास्त्री से प्राप्त किया। इस दौरान आचार्य सोमदेव शास्त्री ने अपने आर्शीवचनों में श्रेष्ठ मनुष्य की परिकल्पना को साकार किया और बताया कि वह मनुष्य जो प्रतिदिन प्रात:काल ब्रह्ममूर्त में उठे और ध्यान करें तो वह सात्विक मनुष्य होता है, वह मनुष्य जो दिन में काम करें और अपने कर्म से परिवार का भरण-पोषण व समाज के उत्थान में कार्य करें वह रजोगुण पूर्ण इंसान होता है और वह मनुष्य जो रात्रि के समय 12 बजे से पहले एक घंटा प्रभु ध्यान करें और सुबह 3 बजे से ध्यान में लग जाए वह मनुष्य भी श्रेष्ठता के क्रम में आता है। इसलिए श्रेष्ठ बनने के लिए आर्य समाज की वैदिक पद्वतियों को अपनाऐं और उनके मार्ग पर चलें तो मनुष्य परमात्मा के समान बन जाएगा। आचार्य सोमदेव शास्त्री के अंतिम प्रवचन आज रविवार 23 सितम्बर को आर्य समाज मंदिर में संपन्न होंगें जहां अन्य विशेष कार्यक्रम में भी मंदिर परिसर में आयेाजित किए गए है। समस्त धर्मप्रेमीजनों से अधिक से अधिक संख्या में प्रात: 8:30 बजे आर्य समाज मंदिर पहुंचकर धर्मलाभ प्राप्त करने का आग्रह आर्य समाज शिवपुरी द्वारा किया गया है। 


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