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𝙎𝙝𝙞𝙫𝙥𝙪𝙧𝙞 𝙆𝙝𝙖𝙗𝙖𝙧

Monday, March 16, 2020

स्वयं प्रकाश के लेखन में अध्ययन और अनुभव दोनों

किताब धूप में नंगे पांव पर हुई समीक्षा बैठक संपन्न
शिवपुरी। पाठक मंच, शिवपुरी ने विगत दिवस कथाकार स्वयं प्रकाश की किताब श्धूप में नंगे पांवश् पर समीक्षा बैठक आयोजित की। स्थानीय गांधी सेवाश्रम में आयोजित इस समीक्षा बैठक की शुरूआत करते हुए विनय प्रकाश जैन ने कहा श्धूप में नंगे पांवश् कथेतर किताब है। यह किताब आत्मकथा, संस्मरण, रिपोर्ताज का मिलाकृजुला रूप है। गद्य की सभी विधाओं का इसमें समावेश है। किताब उनके अनुभवों का लेखाकृजोखा है। प्रमोद भार्गव ने कहा, परिपक्व संस्मरण की खासियत यह होती है कि उसकी चित्रात्मकता प्रभावित करे। इस मायने में यह किताब पूरी तरह से खरी उतरती है। स्वयं प्रकाश ने जिस क्षेत्र में जो अनूठा देखा, उसे किताब में कुशलता से अभिव्यक्त किया है। मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा राज्य के सभी जिलों में पाठक मंच केन्द्रों की स्थापना की गई है। अकादमी इन पाठक मंचों को हर महीने एक किताब भेजता है, जिसको पढ़कर लेखक पाठक इस पर संवाद करते हैं।

अरुण अपेक्षित ने कहा, जिस लेखक के जीवन में जितना अनुभव होता है, उसका लेखन उतना ही सशक्त होता है। स्वयं प्रकाश के लेखन में अध्ययन और अनुभव दोनों हैं। अलबत्ता यह बात जरूर कहना होगी कि किताब श्धूप में नंगे पांव उतनी रोचक नहीं बनी है। जाहिद खान ने कहा अच्छी आत्मकथा वह होती है, जिसमें आपबीती से ज्यादा जगबीती हो। स्वयं प्रकाश ने इस किताब में अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण हिस्से के साथकृसाथ तमिलनाडु, ओडिशा और राजस्थान जहां उन्होंने नौकरी की, वहां की संस्कृति और रहनकृसहन का सूक्षमता से विवेचन किया है। त्रिलोचन जोशी ने कहा, स्वयं प्रकाश संवेदनशील लेखक हैं। किताब में कई जगह उनकी सूक्ष्म दृष्टि दिखलाई देती है। किताब के उपसंहार में उन्होंने बड़ी सार्थक टिप्पणी की है। लोकेश सोनी ने कहा, हिन्दी भाषियों को अहिन्दी भाषी क्षेत्र में जो व्यावहारिक कठिनाईयां आती हैं, लेखक ने किताब में उसका बखूबी वर्णन किया है। डॉ.पुनीत कुमार ने कहा श्धूप में नंगे पांवश्, जीवन के संघर्ष की गाथा है। जिंदगी की चुनौतियों का विश्लेषण और इसका समाधान, लेखक ने किताब में अपनी ओर से दोनों ही प्रस्तुत किया है। प्रकाश सेठ और भगवान सिंह यादव ने भी किताब पर अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी की।  

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