राज्य आनंद संस्थान, आनंद विभाग के द्वारा आयोजित हुई अल्पविराम परिचय कार्यशालाशिवपुरी। जीवन की आपाधापी और गलतियों के बीच कभी-कभी एक अल्पविराम भी नई शुरुआत का माध्यम बन जाता है। ऐसा ही भावपूर्ण अनुभव शिवपुरी जिला सर्किल जेल में आयोजित एक दिवसीय अल्पविराम परिचय कार्यशाला के दौरान देखने को मिला। यह कार्यक्रम राज्य आनंद संस्थान, आनंद विभाग के जिला नोडल अधिकारी एवं संयुक्त कलेक्टर श्री जे.पी. गुप्ता के निर्देशन तथा शिवपुरी सर्किल जेल अधीक्षक रमेशचंद्र आर्य व आनंद संस्थान जिला शिवपुरी के सहायक नोडल अभय जैन के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ इतनी शक्ति हमें देना दाता की सामूहिक प्रार्थना से हुआ, जिसने पूरे वातावरण को संवेदनशील और आत्मीय बना दिया। प्रारंभ में जेल विभाग के शिक्षक श्री रामगोपाल ने कैदियों से संवाद स्थापित करते हुए अल्पविराम की शिक्षा को जीवन में उतारने का आग्रह किया। मुख्य अतिथि जेलर श्री रामशिरोमणि पाण्डेय ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि अल्पविराम केवल रुकने का नहीं, स्वयं से जुडऩे और नई राह चुनने का अवसर देता है। यह कार्यशाला कैदियों के जीवन में परिवर्तन और आत्मविश्वास का नया मार्ग प्रशस्त करेगी। उनके शब्दों ने उपस्थित कैदियों के मन में आशा और आत्ममंथन का भाव जागृत किया।
आनंदम सहयोगी व वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश सिंह तोमर ने आनंद विभाग का भावपूर्ण परिचय देते हुए बताया कि आनंद परिस्थितियों पर नहीं, हमारी सोच और दृष्टि पर निर्भर करता है। उन्होंने प्रतिभागियों को स्वयं से जुडऩे, हर परिस्थिति में सकारात्मक रहने और भीतर के आनंद को पहचानने की प्रक्रिया सरल शब्दों में समझाई। साथ ही 'ताली-बालीÓ गतिविधि के माध्यम से कैदियों ने अपनी क्षमताओं और संभावनाओं को महसूस किया।
मास्टर ट्रेनर साकेत पुरोहित ने जीवन का लेखा-जोखा सत्र के माध्यम से चार प्रश्नों पर आधारित लाइफ बैलेंस शीट तैयार करवाई। उन्होंने अपनी परिवर्तन यात्रा साझा करते हुए यह संदेश दिया कि गलती अंत नहीं होती, बल्कि बदलाव की शुरुआत होती है। उनकी बातों ने कई हृदयों को भीतर तक छू लिया। कार्यक्रम के अंत में श्री ब्रजेश सिंह तोमर द्वारा आभार व्यक्त किया गया। यह कार्यशाला केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि कैदियों के जीवन में आत्मबोध, आशा और सकारात्मक परिवर्तन का एक संवेदनशील प्रयास बनकर उभरी।

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