पीछे छूटे यक्ष सवाल
वीरेन्द्र शर्मा
उप निर्वाचन के दौरान प्रमुख राजनैतिक दल या अपना-अपना भाग्य आजमा रहे प्रत्याशियों के आरोप-प्रत्यारोप देखें तो लगता है कि जनता के यक्ष सवालों से शायद ही किसी का लेना-देना हो। इस तरह से एक-दूसरे की अकर्मडता को उजागर कर लोग वोट हथियाना चाहते है। ऐसे में पेयजल, शिक्षा, सुरक्षा, सड़क, स्वास्थ्य हो या फिर जीवकोपार्जन के संसाधन रोजगार जैसे विषय इनकी चर्चा चुनावी शोर में लगता है कहीं पीछे छूटती जा रही है। लोकतंत्र के महायज्ञ के दौरान जबाबदेह लोगों की मंच से कर्तव्य विमुखता पर भले ही सवाल हो मगर लगता नहीं कि कोई सबक लेना चाहता है।
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