शिवपुरी-ग्राम मुड़ेनी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में आज पंचम दिवस की कथा का श्रीवासुदेव नंदिनी भार्गव द्वारा भगवान के प्राकट्य उत्सव से लेकर श्रीगोवर्धन नाथ की पूजा तक की तथा कथा का श्रवण कराया। यहां व्यासपीठ से श्रीवासुदेव नंदिनी भार्गव ने कथा वृतान्त के रूप में चीरहरण की लीला का निरूपण करते हुए बताया कि बहुत से लोग भगवान की इस लीला पर आपत्ति प्रकट करते है जबकि इस लीला का बास्तबिक अर्थ तो वस्त्रों के रूप में विकार का हरण करना था।
जिसके जीवन से विकार चला जाएगा, रास का सहभागी वही बन पाएगा, साथ ही गोवर्धन नाथ की पूजा का आध्यात्मिक वर्णन करते हुए कहा की गोवर्धन पर्वत है और पर्वत का गुण होता है स्थिरता अत: जिसके जीवन का भटकाव समाप्त हो जाए वह पूजने योग्य हो जाता है। चंचलता समाप्त होते ही व्यक्ति पूजने योग्य हो जाता है। इस दौरान कथा का श्रवण करने के लिए दूर-दूर से ग्रामीणजन पधार रहे है साथ ही कुछ ही दिनों में समापन की ओर जा रही श्रीमद् भागवत कथा का पुण्यलाभ अर्जित करने का आग्रह आयोजक परिवार ने किया है।
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