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Thursday, March 24, 2022

टीबी, नहीं दिया ध्यान तो खांस-खांसकर निकल जाएगा दम : डा.अर्पित बंसल


विश्व क्षय दिवस के अवसर पर बड़ौदी स्कूल परिसर में नुक्कड़ नाकट के माध्यम से एक सैकड़ा बच्चों , एवं किशोरो को  टीबी के बारे में जागरुक किया 

शिवपुरी। टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो सीधे रूप से फेफड़ों पर अटैक करती है। इस बीमारी में मरीज का खांस.खांसकर बुरा हाल हो जाता है। विश्व स्वासथ्य संगठन के अनुसारए रोजाना करीब 4100 से अधिक लोग टीबी से अपनी जान गंवाते हैं। यह रोग फेफड़ों के अलावा रीढ़, दिमाग या गुर्दे जैसे अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।यह कहना था जिला चिकित्सालय में पदस्थ मेडिकल आफीसर डा0 अर्पित बंसल का जो कि विश्व टीबी दिवस के अवसर पर जागरुकता कार्यक्रम में बोल रहे थे जो कि शक्तिशाली महिला संगठन , स्वास्थ्य विभाग , महिला बाल विकास विभाग ने संयुक्त रुप से आयोजन किया 

कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने कहा कि हर साल 24 मार्च को वर्ल्ड टीबी डे मनाया जाता है। साल 1882 में डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया की खोज की थी जोकि टीबी की बीमारी का कारण बनता है। इस दिवस को मनाने मुख्य उद्देश्य दुनियाभर में इस सांस की बीमारी में जागरूकता फैलाना है। इस साल यानी 2022 में वर्ल्ड टीबी डे की थीम इन्वेस्ट टू एण्ड टीबी सेव लाईव्स  है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार साल 2020 में 1500000 लोगों को टीबी की वजह से अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। 

टीबी दुनिया के सबसे घातक संक्रामक रोगों में एक है। हर दिन 4100 से अधिक लोग टीबी से अपनी जान गंवाते हैं और करीब 28000 लोग इस रोकथाम योग्य और इलाज योग्य बीमारी से बीमार पड़ते हैं।  आज की खास बात यह थी कि शारदा कला मण्डल की टीम ने बड़ौदी स्कूल परिसर में बहा कि बच्चों , किशोरो एवं समुदाय को नुक्क़ड़ नाटक एवं गानों के माध्यम से टीबी के बारे में जागरुक किया उन्होने अपने नाटक में टीबी की फुल फॉर्म ट्यूबरकुलोसिस है। इसे आम भाषा में तपेदिक या क्षय रोग की बीमारी भी कहा जाता है। यह एक संक्रामक रोग है जो ज्यादातर फेफड़ों को प्रभावित करता है। 

ऐसा माना जाता है कि यह फेफड़ों के अलावा रीढ़ दिमाग या गुर्दे जैसे अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होता है। रोगाणु हवा के माध्यम से फैलते हैं और आमतौर पर फेफड़ों को संक्रमित करते हैं लेकिन शरीर के अन्य भागों को भी संक्रमित कर सकते हैं। हालांकि टीबी संक्रामक है लेकिन यह आसानी से नहीं फैलता है।टीबी तब फैल सकता है जब सक्रिय टीबी रोग वाला व्यक्ति खांसने छींकने बात करने गाने या हंसने से भी हवा में कीटाणु छोड़ता है। ज्यादातर लोग जो सांस लेते हैं टीबी के बैक्टीरिया बैक्टीरिया से लड़ने और उसे बढ़ने से रोकने में सक्षम होते हैं।खांसी 2 सप्ताह से अधिक समय तक चलने वाली, सीने में दर्द खांसी ,खून या थूक बलगम, थकान या कमजोरी भूख में कमी वजन घटना, ठंड लगना बुखार रात को पसीना बताया। 

कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग के मैदानी अमलें ने भी समुदाय को टीबी के बारे में जागरुक किया उन्होने बताया कि टीबी की जांच से लेकर ईलाज कराने तक सब फ्री हैं। इसके साथ टीबी का पूरा कोर्स लेने पर 6 माह तक 500 रुपये सरकार द्वारा भी प्रदान किये जाते है । 

आज टीबी दिवस पर स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित किया जिसमें डा0 अर्पित बंसल ने आधा सैकड़ा बच्चों की जांच की जिनको टीबी के लक्षण थे उनको टीबी अस्पताल में जाने को कहा। कार्यक्रम में मैदानी अमला, डा0 अर्पित बंसल, रवि गोयल, स्कूल के शिक्षिकाए एवं शिक्षक, आंगनवाड़ी पिंकी लोधी, आशा, एएनएम के साथ एक सैकड़ा ग्रामीणों ने भाग लिया।

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