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Tuesday, July 4, 2023

सागर / नाबालिग के साथ छेड़-छाड़ करने वाले आरोपी को 05 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड


सागर
। नाबालिग के साथ छेड़-छाड़ करने वाले आरोपी अभिषेक पटैरिया को विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एव ंनवम अपर-सत्र न्यायाधीष श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा-354 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-506 भाग-2 के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रूपये अर्थदण्ड एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-7 सहपठित धारा-8 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, की सजा से दंडित किया है।  मामले की पैरवी विषेष लोक अभियोजक श्री मनोज कुमार पटैल ने की।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि पीड़िता के मामा/फरियादी द्वारा थाना गोपालगंज में दिनॉक 30.10.2019 को रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 27.10.2019 को रात में वह उसकी बहन पीड़िता की मॉ के यहां आया था, उसी दिन उसकी बहन पीड़िता की मॉ ने बताया कि उसके यहां अभियुक्त अभिषेक पटैरिया गुरूजी पूजा पाठ करने आते हैं वो पीड़िता से शादी करने के लिये अनावश्यक दबाव बना रहे हैं फिर उसने अपनी भांजी/ पीड़िता से पूछा तो उसने बताया कि अभियुक्त अभिषेक पटैरिया उसके साथ गंदी नियत से छेड़खानी करता है तथा शादी करने के लिये परेशान करता है तथा शादी न करने पर जान से मारने की धमकी देता है।दिनांक 27.10.2019 करीब शाम 5.00 बजे अभियुक्त अभिषेक पटैरिया ने उसका गलत नियत से हाथ पकड़ा था तथा शादी करने के लिये बोल रहा था तो उसने यह बात अपनी मां को भी बतायी थी। अभिषेक पटैरिया ने उसे  धमकी दी कि वह पूरे परिवार को मिटा देगा तथा समाज में बदनाम कर देगा यदि उसकी शादी पीड़िता से नहीं करवाई तो सबको जान से खत्म कर देगा। 

उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-गोपालगंज द्वारा धारा भा.दं.सं. की धारा भा.दं.सं. की धारा-354, 509,354(ए)(आई), 506 भाग-दो एवं पॉक्सो एक्ट की धारा-7 सहपठित धारा-8 एवं 9(जे)(आई)सहपठित धारा-10 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। 

अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया ।  जहॉ विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एव ंनवम अपर-सत्र न्यायाधीष श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की न्यायालय ने  आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है।


संपत्ति के नामांतरण की ऐवज में रिष्वत लेने वाले पटवारी को 04 वर्ष सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड 

सागर । संपत्ति के नामांतरण के ऐवज में रिष्वत लेने वाले पटवारी नरोत्तमदास चौधरी को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र श्री आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7 के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड व धारा-13(1)(डी)सहपठित धारा-13(2) के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास व पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी श्री श्याम नेमा सहा. जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने की।

घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि दिनांक 06.09.16 को आवेदक कमलेश दुबे ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को एक हस्तलिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि वह किसानी करता है, उसके पिता का दिनांक 08.11.2015 को स्वर्गवास हो जाने से वह अपने पिता की सम्पत्ति अपनी मां, बहन व भाई के नाम पर कराने अर्थात् नामांतरण कराने के लिए संबंधित पटवारी अभियुक्त नरोत्तम अहिरवार के पास उसके बण्डा स्थित कार्यालय गया, तो अभियुक्त ने उससे 1,500/-रु. रिश्वत राशि की मांग की। ंवह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। उक्त आवेदन पर कार्यवाही हेतु तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, वि.पु.स्था. सागर ने निरीक्षक संतोष सिंह जामरा को अधिकृत किया। 

आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉग वार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई । 

नियत दिनॉक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राषि दी गई व आवेदक का इषारा मिलने पर टेªपदल के सदस्य मौके पर पहुॅचे और टेªपदल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत, अभियुक्त से रिश्वत राशि के संबंध में पूछे जाने पर, रिश्वत राशि आवेदक से लेकर अपने पहने हुये कुर्ते के उपर की बायीं जेब में रख लेना बताया, तत्पश्चात् अग्रिम कार्यवाही प्रारम्भ की गई। 

विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है ।  

नाबालिग के साथ जबरन दुष्कृत्य करने वाले आरोपी को 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड
सागर । नाबालिग के साथ जबरन दुष्कृत्य करने वालेे आरोपी अजय पटैल को विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीष श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की न्यायालय ने दोषी करार देते हुये लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा- 5 (एल) सहपठित धारा-6 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास व पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड एवं भा.द.वि. की धारा-450 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास व पांच सौ रूपये अर्थदण्ड, धारा- 506(भाग-2) के तहत 04 वर्ष सश्रम कारावास व दो सौ रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है एवं माननीय न्यायालय द्वारा बालिका के पुर्नवास के लिये उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर 2,00,000/- (दो लाख रूपये) दिये जाने का आदेष दिया गया । मामले की पैरवी विषेष लोक अभियोजक श्री मनोज कुमार पटैल ने की।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/पीड़िता ने दिनांक   03.02.2021 को थाना केंट में रिपोर्ट लेख की गई कि वह आरोपी को करीब 4 माह से जानती है वह उसके पड़ोसी के घर आता-जाता था जिस कारण उसकी आरोपी अजय से पहचान हो गई थी। अभियुक्त अजय उससे कहता था कि वह उसे अच्छी लगती है और कभी-कभी उससे मिलने घर तरफ आ जाता था। दिनांक 20.11.20 को दोपहर करीब 2 बजे की बात है वह घर पर अकेली थी, तब अभियुक्त अजय घर आया और उससे पूछा कि घर पर कौन है तो उसने बताया कि सभी काम पर गए हैं फिर अभियुक्त अजय घर पर थोड़ी देर बैठा और घर के दरवाजे लगा लिए। उसने कहा कि ये क्या कर रहे हो तो वो उसके साथ गंदी हरकत करने लगे और जबरदस्ती उसके साथ गलत काम किया। 

वह चिल्लाई लेकिन आसपास कोई नही था। उसने अजय से कहा कि वह उसकी शिकायत करेगी तो अजय ने कहा कि उसका बाप व भाई दोनों काम पर जाते हैं यदि उसने किसी को बताया तो दोनों घर वापस नही आ पाएंगे जिससे वह डर गई और उसने यह बात किसी को नही बताई। उसके बाद आए दिन अजय उसके साथ गलत काम (बलात्कार) करता था । यह बात वह अपनी मां को बताना चाह रही थी लेकिन वह बता नही पा रही थी। फिर दिनांक 01.02.21 को हिम्मत करके उसने अपनी मम्मी को सारी बात बता दी उसके बाद मम्मी-पापा के साथ अजय के खिलाफ रिपोर्ट लेख कराई। 

उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-केंट द्वारा धारा-450, 506 भाग-2, 376(2)(एन) भा.दं.सं. एवं धारा-5(एल) सहपठित धारा-6, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। 

अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीष श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की न्यायालय ने  आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है। 


शादी का झांसा देकर भगा ले जाकर नाबालिग के साथ दुष्कृत्य करने वाले आरोपी को आजीवन सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड
सागर । शादी का झांसा देकर भगा ले जाकर नाबालिग के साथ दुष्कृत्य करने वाले आरोपी योगेष ठाकुर को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा-366 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-  376(1) के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्या.निवा.) अधिनियम 1989 की धारा-3(1)(डब्ल्यू(आई) के तहत 03 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड , धारा 3(2)(व्ही-ए) के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास व एक हजार रूपये अर्थदण्ड , धारा-3(2)(व्ही) के तहत आजीवन सश्रम कारावास व पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है एवं माननीय न्यायालय द्वारा बालिका के पुर्नवास के लिये उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर 4,00,000/- (चार लाख रूपये) दिये जाने का आदेष दिया गया । मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता/बालिका के पिता ने दिनांक 06.09.2019 को पुलिस थाना केन्टोन्मेंट में रिपोर्ट लेख कराई कि उक्त दिनांक को बालिका दिन के करीब 11.00 बजे स्कूल गई थी जो शाम 4.30 बजे तक घर वापिस नहीं आई तो फिर उसने बालिका की सहेलियांे एवं उसके पूरे रिश्तेदारों में बालिका के बारे में पता किया लेकिन बालिका का पता नहीं चलने पर अज्ञात व्यक्ति द्वारा बालिका को बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका के आधार पर रिपोर्ट लेख कराई। दिनांक 10.08.2021 को बालिका के दस्तयाब होने पर उसके द्वारा बताया गया कि अभियुक्त योगेश उसे शादी करने का कहकर राजकोट ले गया था और एक किराये के कमरे में अभियुक्त योगेश द्वारा बालिका के साथ उसकी मर्जी के बगैर बलात्कार कराना बताया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, 

विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-केन्टोमेंट द्वारा धारा-366, 376-ए, 376-डी भा.दं.सं. एवं धारा 3/4 पॉक्सो एक्ट, 2012 एवं धारा 3(2)(अ.ं), 3(2)(अ) अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्या.निवा.) अधिनियम 1989 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने  आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है।

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