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Tuesday, October 22, 2024

जीवन मित्रता की अमिट पहचान है श्रीकृष्ण-सुदामा चरित कथा : श्री चिन्मयानंद बापू



वैकुण्ठवासी राधेश्याम पहारिया स्मृति में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा को दिया विश्राम, हवन-पुर्णाहुति के साथ हुआ भण्डारा

शिवपुरी- कभी-सुख में तो कभी दु:ख में लेकिन हर वक्त अपने साथ रहकर जो व्यक्ति एक-दूसरे की अच्छी और बुरी आदतों का आभास कराए वही सच्चे मित्र होते है आजकल सोशल मीडिया के इस युग में वाट्सएप और इंस्टाग्राम के चलते मित्रता की पहचान कर पाना आसान नहीं है लेकिन भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा चरित कथा हमें सदैव जीवन में सच्चे मित्र की अमिट पहचान बताती है इसलिए आज भी कई ऐसे मित्र होंगें जो समय बदलने के बाद भी अपने मित्रों को नहीं भूलते और उनके सुख-दु:ख में सदैव साथ रहते है, इस प्रकार का साथ आप सभी मानव प्राणी भी निभाऐं और इस मित्रता को मित्रता दिवस पर नहीं बल्कि हरेक दिन को मित्रता दिवस के रूप में मनाए। 

मित्रता की इस अमिट पहचान को बताया परम पूज्य श्रीचिन्मयानंद बापू जी ने जो स्थानीय परिणय वाटिका में वैकुण्ठवासी श्री राधेश्याम पहारिया स्मृति में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम दिवस की कथा का वृतान्त सुनाते हुए सभी को कथा श्रवण करा रहे थे। इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान श्रीमती लाली-शैलेन्द्र (सीटू)पहारिया, श्रीमती सनाया-शिवम पहारिया परिवार के द्वारा सर्वप्रथम कथा पूजन किया गया तत्पश्चात पूज्य गुरूदेव श्रीचिन्मयानंद बापू से आर्शीवाद ग्रहण किया। कथा विश्राम के दिवस पर सभी ने भावविभोर कर देने वाले प्रसंगों को जब भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा मित्रता के रूप में सुना तो पूरा पाण्डाल भाव-विभोर हो गया, अनेकों श्रद्धालुओं की आंखों से अश्रु की धारा बहने लगी और जब भगवान अपने सखा से मिले तो पाण्डाल जगमगा और जय-जयश्रीकृष्ण के जयघोष किए जाने लगे।

कथा में भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा चरित के साथ ही कथा में शामिल सभी श्रद्धालुओं के लिए भण्डारा प्रसादी की व्यवस्था की गई। इसके साथ ही श्रीमद् भागवत कथा विश्राम पश्चात सभी श्रद्धालुओं ने हवन-पुर्णाहुति के साथ भण्डार प्रसादी में शामिल होकर प्रसाद ग्रहण किया। कथा के मुख्य यजमान परिजन पहारिया परिवार ने कथा के पूरे सातों दिवसों पर कथा में सहयोग प्रदान करने वाले राजेन्द्र गुप्ता सेठ, राजेश शर्मा बरेला सहित समस्त गहोई समाज के सेवाभावियों के प्रति आभार प्रकट किया।

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