दुर्गामठ में साहित्यकारों ने दी डा. लखनलाल खरे को श्रृद्धांजली
शिवपुरी- विपरीत परिस्थतियों में जीवन संघर्ष को जारी रखते हुए आपने जीवन की पाठशाला में कामयावी हासिल की है ऐसे जीबट वाले डॉ लखनलाल खरे का साहित्यिक जीवन से विदा लेना एक शून्य पैदा कर गया है। डॉ लखलनलाल खरे को श्रृद्धांजति देते हुए नई गजल के संपादक एवं लेखक डॉ. महेन्द्र अग्रवाल ने अपनी भावनाऐं व्यक्त करते हुए आगे कहा कि आपकी डायरी का अध्ययन कर कुछ किताबों का प्रकाशन कार्य कराया था। डॉ महेन्द्र अग्रवाल ने संस्मरण पेश करते हुए बताया कि खरे साहब ने सहुष्णुता का पहला पाठ उनके मददगार रहे अखलाक अहमद कुरेशी से सीखा था। वे भेदभाव रहित समदृष्टि, समभाव रखते थे।
प्रसिद्ध पत्रकार एवं लेखक प्रमोद भार्गव ने कहा डा. लखनलाल खरे विविध विषयों के जानकार थे। डा. विरही के बाद खरे साहब को गहन अध्ययनशील कहा जा सकता है। मुझे विज्ञान नाटक लिखने के लिए आपने संदर्भ पुस्तकों की जानकारी दी थी। खरे साहब ने स्थानीयता को महत्व देते हुए अनेक शोध स्थानीय कवियो, लेखकों पर करवाए। संकट के दिनों में हार न मानना बडे़ लेखक का प्रतीक है, लेखक को चुनेतियॉ अपने परिजन से ही ज्यादा मिलती हैं मित्र तो सामान्यतः मदद करने के लिए होते हैं।
अखलाक खान ने डॉ लखनलाला जी को याद करते हुए कहा वे अच्छे लेखक थे, सकारात्मक सोच वाले, प्रेरणा श्रृोत व्यक्तित्व के धनी थे उन्हैं अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से नबाजा जा चुका है । युसुफ अहमद कुरशी ने किसी शायर का शेर कोड करते हुए कहा- जिस्म तो जिस्म है खाक में मिल जाएगा, मै बहरहाल किताबों में मिलूंगा तुम्हें। खरे साहब के व्यक्त्वि व कृतित्व को जानने लेखन से प्रेरणा लेने के लिए उनके द्वारा रचित साहित्य का अध्ययन करना चाहिए। अली सरदार जाफरी की इन पंक्तियों के साथ युसुफ अहमद कुरेशी ने खिराजे अकीदत पेश की-अर्थी तो उठा लेते है सब अश्क बहाके, नाजे दिले बेताबी उठाता नहीं कोई।
प्रदीप दुबे सुकून ने खरे साहब के साहित्यिक अवदान का उल्लेख किया। रफीक इसरत गवालियरी ने कहा एक अच्छा और नेक इंसान हमसे जुदा हो गया उन्हें श्रृद्धांजति। हेमलता चौधरी कहा डॉ खरे साहब शांत स्वभाव के व्यक्ति थे उनके जाने से साहित्य जगत की अपूर्णीय क्षति है। श्रृद्धांजली सभा में उर्वशी गौतम, अंजली गुप्ता, राधेश्याम सोनी, योगेन्द्र बाबू शुक्ला, शकील नश्तर, अजय जैन अविराम, राजकुमार चौहान, एम.एस. द्विवेदी, गोविंद अनुज, बसंत श्रीवास्तव, रामकृष्ण मौर्य, याकूब साबिर, श्याम शर्मा ने डा. लखनलाल खरे को श्रृद्धा सुमन भेंट किये। दो मिनिट का मौन धारण कर दिवंगत को सम्मान एवं आत्मिक शांति की कामना की।
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