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Monday, December 30, 2024

विश्वास के प्रतीक है मित्र, श्रीकृष्ण-सुदामा कथा इसका अमिट उदाहरण : पं.अंकुश तिवारी जी महाराज


हवन-पुर्णाहुति के साथ पंसारी परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में वितरित हुआ प्रसाद, कथा को दिया विश्राम

शिवपुरी- हरेक मनुष्य के जीवन में सुख-दु:ख के साथी उसके परिवार के अतिरिक्त यदि कोई होता है तो वह है मित्र, जो हमेशा विश्वास के प्रतीक होते है और इसके लिए भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा चरित कथा अमिट उदाहरण है, इसलिए जीवन में मित्रता भी सोच-समझकर करें ताकि जीवन में कभी कोई साथ दे ना दे लेकिन मित्र जरूर साथ देता है इसलिए हरेक व्यक्ति बचपन से लेकर बड़े और अपने पूरे जीवन में अपने मित्रों का जीवन भर साथ निभाता है। मित्रता का यह अभिन्न मार्गदर्शन किया व्यासपीठ से पं.अंकुश तिवारी जी महाराज ने जो स्थानीय शगुन वाटिका में पंसारी परिवार शिवपुरी द्वारा आयेाजित श्रीमद् भागवत के अंतिम दिवस पर उपस्थित श्रद्धालुओं को आर्शीवचन दे रहे थे। 

इस अवसर पर कथा प्रारंभ से पूर्व पूजन कार्यक्रम में कथा यजमान परिजन समाजसेवी पंसारी परिवार के श्रीमती पिस्ता-राधेश्याम गुप्ता, श्रीमती मंजू-पंकज कुमार एवं श्रीमती ऋचा-विनय गुप्ता के द्वारा श्रीमद् भागवत पूजन किया गया तत्पश्चात कथा में  उपस्थित श्रद्धालुओं के लिए हवन-पूर्णाहुति के साथ प्रसाद वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान पं.अंकुश तिवारी जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता के बारे में बताया, कथा के दौरान, द्वारपाल ने सुदामा को भगवान कृष्ण के सामने पेश किया और भगवान कृष्ण ने अपने बचपन के मित्र सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बिठाया और उन्हें कुबेर का धन दिया। कथा व्यासपीठ से पं.अंकुश तिवारी जी महाराज ने कहा कि जो भी भागवत कथा का श्रवण करता है, उसका जीवन बदल जाता है, श्रीमद् भागवत कथा में भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, ज्ञानयोग, कर्मयोग, समाजधर्म, स्त्रीधर्म, राजनीति का ज्ञान भरा है। कथा विश्राम के दौरान मावा-मिश्री, कचौड़ी का प्रसाद श्रद्धालुओं के लिए कथा आयोजक पंसारी परिवार के द्वारा वितरित किया गया।

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