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Thursday, July 3, 2025

चैक बाउंस के मामले में परिवादी दिलीप सिंह कुशवाहा के परिवाद को किया खारिज, आरोपी को किया बरी


शिवपुरी-
न्यायालय रिचा सिंह राजावत न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जिला शिवपुरी मध्य प्रदेश ने अपने एक अहम फैसले में परिवादी दिलीप सिंह कुशवाहा द्वारा न्यायालय में रामकिशन पुत्र लौटूराम परिहार निवासी 715 वार्ड नंबर 15 फतेहपुर डोगरा रोड तहसील व जिला शिवपुरी के विरुद्ध पराक्रम पराक्रम लिखित अधिनियम की धारा 138 का परिवाद न्यायालय में प्रस्तुत किया जिसमें न्यायाधीश द्वारा अपने आरोपी अधिवक्ता की बहस सुनने के बाद आरोपी रामकृष्ण पुत्र लौटूराम परिहार के पक्ष में फैसला सुनाया जिसमें परिवादी बैंक 1,50,000 (एक लाख पचास हजार) के परिवाद मे न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि परिवादी अपने पक्ष को प्रमाणित करने में असफल रहा और अधिनियम के अंतर्गत प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन नहीं किया गया। जिसमें आरोपी द्वारा चेक के माध्यम से परिवादी द्वारा किस प्रकार धनराशि प्राप्त की, न्यायालय द्वारा फैसला किया गया कि आरोपी ने परिवादी घरेलू अथवा अन्य दायित्व के लिए चेक नहीं दिया। 

माननीय न्यायालय द्वारा निर्णय पारित किया जिसमें आरोपी की ओर से पैरवी अधिवक्ता पंकज आहूजा, चंद्रशेखर भार्गव, आयुषी राणा, आकाश जैन अभिभाषको को द्वारा मामले के पक्षकार आरोपी रामकिशन परिहार पुत्र लोटूराम परिहार को न्याय दिलाने के समस्त दस्तावेज का अवलोकन कर अधिवक्ता पंकज आहूजा द्वारा न्यायालय में अपनी दलील पेश की प्रथम श्रेणी नायक मजिस्ट्रेट द्वारा मामले में निर्णय पारित किया। इस प्रकार परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज ही इस तथ्य के लिए पर्याप्त हैं कि नोटिस निर्धारित समय में नहीं भेजा गया है, यही कारण है कि वाद हेतुक जो पहले उठाया जा सकता था, वह समय सीमा के भीतर नहीं उठाया गया है।

जिसकी फाइंडिंग इस प्रकार है - शिकायतकर्ता यह साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है कि नोटिस निर्धारित समय के भीतर भेजा गया था और नोटिस की तामील के बाद भी राशि का भुगतान नहीं किया गया। परिणामस्वरूप, उपरोक्त चर्चा के आधार पर यह अच्छी तरह स्थापित है कि शिकायतकर्ता उचित संदेह से परे यह साबित करने में विफल रहा है कि अभियुक्त कानूनी रूप से वसूली योग्य ऋण की मांग के नोटिस की सेवा पर चेक की राशि जमा करने में विफल रहा है। अभियुक्त रामकृष्ण खंगार पुत्र लोटूराम खंगार को वर्तमान मामले से दोषमुक्त किया जाता है।

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