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Thursday, December 26, 2024

ईश्वर के प्रति भक्ति में दिखावा ना करें बल्कि भक्त प्रहलाद से लें भक्ति की प्रेरणा : पं.अंकुश तिवारी




पंसारी परिवार द्वारा आयोजित कथा में बताया भक्ति का महत्व, भगवान के चौबीस अवतारों की कथा का हुआ वर्णन

शिवपुरी- आज के इस भौतिकवादी युग में दिखावा अधिक है और धरातल पर कार्य कम, लेकिन ईश्वर के प्रति कभी दिखावे की भक्ति ना करें यदि भक्ति करनी है तो श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करते वक्त भक्त प्रहलाद की भक्ति को अवश्य सुनें और उससे प्रेरणा लें कि किस प्रकार से ईश्वर के प्रति भक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है, इसलिए जब भी मंदिर या घर में पूजा-पाठ हो तो अंर्तमन से इन आयोजनों में भाग लें और विधि-विधान से पूजन-अर्चना करते हुए पुण्य लाभ अर्जित करें। भक्त प्रहलाद की तर्ज पर भक्ति की यह मार्ग प्रशस्त किया व्यासपीठ से कथा का वाचन प्रसिद्ध श्रीमद् भागवत कथा मर्मज्ञ पं.श्री अंकुश तिवारी महाराज (ओरैया वाले) ने जो स्थानीय एबी रोड़ स्थित शगुन वाटिका में पंसारी परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस की कथा में भक्त प्रहलाद चरित्र, भगवान के चौबीस अवतारों सहित समुद्र मंथन कथा प्रसंग पर आर्शीवचन प्रदान कर रहे थे। 

इस अवसर पर कथा प्रारंभ से पूर्व कथा आयोजक शहर के समाजसेवी पंसारी परिवार के श्रीमती पिस्ता-राधेश्याम गुप्ता, श्रीमती मंजू-पंकज कुमार एवं श्रीमती ऋचा-विनय गुप्ता परिजनों के द्वारा श्रीमद् भागवत कथा पूजन किया गया तत्पश्चात व्यासपीठ से पं.श्री अंकुश तिवारी महाराज (ओरैया वाले) से आर्शीवाद प्राप्त कर कथा का धर्मलाभ लिया। इस अवसर पर कथा में भगवान के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कराया गया जिसमें भगवान के चौबीस अवतारों और समुद्र मंथन की कथा सहित भक्त प्रह्लाद की कथा को श्रवण कराया गया। 

कथावाचक पं.अंकुश तिवारी ने कहा कि यह संसार भगवान का एक सुंदर बगीचा है, जब कोई अपने गलत कर्मों से इस संसार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, तब भगवान इस धरा पर अवतार लेकर सजनों का उद्धार और दुर्जनों का संघार करते हैं। कथा के चतुर्थ दिवस के अवसर पर आज 27 दिसम्बर शुक्रवार को कथा में समुद्रमंथन, वामन अवतार, रामकथा कृष्ण जन्मोत्सव कथा का श्रवण श्रद्धालुजनों को कराया जाएगा। इस भव्य आयोजन में समस्त धर्मप्रेमीजनों से पंसारी परिवार शिवपुरी ने आह्वान किया है कि धर्मप्रेमीजन कथा स्थल पर पहुंचकर धर्मलाभ कर अपने जीवन को धन्य बनाऐं।

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