शिवपुरी। जिले में आदिवासी अधिकारों की आवाज बुलंद करने वाला सामाजिक आंदोलन 'सहरिया क्रांतिÓ एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार संगठन का निशाना सीधे पोहरी विधायक कैलाश कुशवाह पर है, जिन पर आरोप है कि वे सरकारी योजनाओं के नाम पर सहरिया आदिवासी समाज के लोगों के साथ अभद्र, अपमानजनक और अमर्यादित व्यवहार कर रहे हैं। बीते दिनों सहरिया समाज के युवा नेता औतार भाई सहरिया के साथ विधायक द्वारा की गई अभद्रता ने पूरे समाज में आक्रोश की लहर दौड़ा दी है।आज आदिवासी युवाओं ने जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने विधायक कैलाश कुशवाह के खिलाफ नरेवाजी कर एडीएम को ज्ञापन सौंपा। सहरिया क्रांति का यह ज्ञापन जिले में आदिवासी स्वाभिमान और अधिकारों की नई चेतना का प्रतीक है। अब देखना है कि जिला प्रशासन और सरकार इस गंभीर मुद्दे पर क्या ठोस कदम उठाते हैं।सुनवाई की जगह मिला अपमान, विधायक की भाषा बनी विवाद का कारण
मामला ग्राम में लगे नए बोरवेल में मोटर लगवाने की मांग से जुड़ा है, जिसे लेकर औतार भाई सहरिया ने विधायक कैलाश कुशवाह से गुहार लगाई थी। विधायक ने उन्हें अपने निवास पर बुलाया, लेकिन समस्या सुलझाने के बजाय कथित रूप से अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। जब गाँव में बोर लगाया गया तो तुम्हें मुझे माला पहनाने आना चाहिए था, तुम सम्मान नहीं करोगे तो तुम्हारे इलाके में कोई सरकारी काम नहीं होने दूंगा, जैसे कथनों ने आदिवासी समाज की भावनाओं को आहत किया है। यह घटनाक्रम किसी एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि आदिवासी समाज के व्यापक अपमान की मिसाल बन गया है।
सहरिया क्रांति ने प्रशासन को चेताया, उठाई पाँच सूत्रीय माँग
सहरिया क्रांति संगठन ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर माँग की है कि प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि सरकारी योजनाओं का लाभ बिना किसी जनप्रतिनिधि की मध्यस्थता के सीधे हितग्राहियों तक पहुँचे। आदिवासियों को योजनाओं के लिए नेताओं के घर बुलाना तुरंत बंद किया जाए और प्रशासनिक अमला स्वयं गाँवों में जाकर समस्याएँ सुलझाए।
संगठन ने यह भी कहा कि भविष्य में किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा आदिवासियों के साथ अपमानजनक व्यवहार की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए कड़ी निगरानी और स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए जाएँ। साथ ही, यदि किसी विधायक या जनप्रतिनिधि द्वारा ऐसी घटना होती है तो उसके खिलाफ पुलिस प्राथमिकी दर्ज की जाए।
No comments:
Post a Comment