आर्य समाज मंदिर में चार दिवसीय यज्ञ एवं वैदिक प्रवचन शुरू
शिवपुरी-वेद, उपनिषद जैसे महान ग्रंथों को श्रवण करने से मात्र से कुछ नहीं होगा बल्कि इनके बताए मार्ग पर चलने से ही परमात्मा की प्राप्ति की जा सकती है और इन्हें अनाया जाए तो जीवन के सारे दुर्गण दूर हो जाऐंगें, महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वेदों के ज्ञान को परमात्मा के स्वरूप में परिभाषित किया है और आर्य समाज इन्हीं वेदों पर चलकर मानव कल्याण का कार्य कर रहा है यह अपितु बताने का नहीं बल्कि करने का काम है हम वेदों के ज्ञान को अपनाऐं तो निश्चित रूप से मानव का जीवन बदल जाएगा और स्वयं मन की अंर्तात्मा से पीडि़त मानवता के प्रति दया व करूणा का भाव आ जाए तो समझो यही मानव धर्म है और स्वत: आर्य समाज का वह व्यक्ति जिसने वेदों के ज्ञान को धारण किया है वही ईश्वर का स्वरूप बन उसकी सेवाकार्य में लग जाएगा। मानव सेवा और वेदों का यह ज्ञान कराया मुम्बई से शिवपुरी आए प्रसिद्ध वेद ज्ञायक आचार्य सोमदेवकृष्ण शास्त्री ने जो स्थानीय आर्य समाज मंदिर में वेद प्रचार सप्ताह के तहत आयोजित कार्यक्रम के माध्यम से अपने आर्शीवचन उपस्थित आर्यजनों के बीच दे रहे थे। इस दौरान कार्यक्रम की शुरूआत प्रात: 8:30 बजे आर्य समाज मंदिर में वैदिक यज्ञ के साथ हुई तत्पश्चात संध्या(प्रवचन)धर्मसभा का आयोजन हुआ। वेदों के ज्ञान के प्रति आयोजित वेद प्रचार सप्ताह की आचार्य सोमदेव शास्त्री ने ना केवल शिवपुरी आर्य समाज की सराहना की बल्कि वेदों के लिए किए जाने वाले कार्य के रूप में प्रति सप्ताह आर्य समाज मंदिर में यज्ञ किए जाने वाले कार्यों को भी सराहा।
अपने आर्शीवचनों में आचार्य सोमदेव शास्त्री ने प्रवचनों की प्रथम श्रृंखला में आज गायत्री मंऋ की संपूर्ण ज्ञान को परिभाषित किया उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से गायत्री मंत्र संस्कृत भाषा में उच्त्रारण किया जाता है ठीक इसके साथ ही मानव को इस मंत्र के ज्ञान को धारण करना चाहिए जिसमें संपूर्ण मानव शरीर की संरचना, उसके कार्य, मानव धर्म और ज्ञान का मार्ग प्रशस्त किया गया है। आचार्य सोमदेव ने महर्षि दयानन्द सरस्वती के जीवन पर आधारित ज्ञानवर्धन प्रवचन भी दिए और इस मानव शरीर की संरचना को बताया जिसमें शरीर के विभिन्न अंग किस प्रकार से प्रतिदिन कार्य करते है को लेकर भी बताया। आर्य समाज से जुड़े हरेक व्यक्ति को प्रतिदिन सुबह एवं शाम को संध्या करना आवश्यक है क्योंकि यह वेद कहते है कि हम प्रतिदिन यदि कुछ समय परमात्मा का ध्यान करेंगें तो स्वत: ही अपने दुर्गणों को दूर कर लेंगें और दूसरों के जीवन में भी सुख प्रदान कर सकेंगें। आचार्य श्री ने बताया कि हमारी कम हम नहीं बल्कि परमात्मा जानते है कर्म जो हम करते है वह इस संसार के लोग जानते है लेकिन मानव कल्याण, धर्म-ज्ञान और परमात्मा का ध्यान यदि किया जाए तो वह परमात्मा जानते है। इसलिए ध्यान तो करें लेकिन मन से करें अन्यथा किए गया ध्यान व्यर्थ हो जाता है। आर्य समाज मंदिर में प्रतिदिन 23 सितम्बर तक प्रात:8:30 बजे से यज्ञ एवं प्रवचन व रात्रि में 8:30 बजे से प्रवचन कार्यक्रम रखा गया है समस्त धर्मप्रेमीजनता से आर्य समाज मंदिर में पहुंचकर वेदों के ज्ञान को धारण कर उसे ग्रहण करने का आग्रह आर्य समाज शिवपुरी द्वारा किया गया है।
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