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𝙎𝙝𝙞𝙫𝙥𝙪𝙧𝙞 𝙆𝙝𝙖𝙗𝙖𝙧

Wednesday, November 20, 2019

विनय प्रकाश जैन के नवगीत संग्रह 'यात्रा कितनी कठिन हैÓ का विमोचन

सागर में आयोजित 'याद-ए-कैफीÓ कार्यक्रम में हुई किताब पर चर्चा
शिवपुरी। मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन, भोपाल और सम्मेलन की जिला इकाई सागर द्वारा प्रगतिशील शायर और मशहूर नग्मानिगार कैफी आजमी के जन्मशती वर्ष पर 'याद-ए-कैफ ीÓ समारोह स्थानीय शासकीय एक्सीलेंस गल्र्स कॉलेज के विशाल परिसर में सम्पन्न हुआ। दो सत्रों में आयोजित इस समारोह के पहले सत्र में कवि, गीतकार विनय प्रकाश जैन 'नीरवÓ के नवगीत संग्रह 'यात्रा कितनी कठिन हैÓ का विमोचन समोराह के अध्यक्ष उर्दू-हिन्दी के प्रख्यात आलोचक एवं अनुवादक डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा (दिल्ली), मुख्य अतिथि सुप्रतिष्ठित शायर इकबाल मसूद के साथ ही सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष पलाश सुरजन, महामंत्री प्रो. मणि मोहन, सुस्थापित गीतकार शिवकुमार अर्चन, प्रो. सुरेश आचार्य तथा सागर जिला इकाई अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी ने किया। इस अवसर पर विनय प्रकाश नीरव ने मंच से अपने चुनिंदा नवगीत भी प्रस्तुत किये, जिन्हें भरपूर सराहना मिली। 
गीतकार शिवकुमार अर्चन ने संग्रह के नवगीतों की चर्चा करते हुए कहा कि इन गीतों में ग्रामीण जीवन की सच्चाई है, तो शहरी जीवन की व्यस्तता भी। गीतकार गाँव से नगर और नगर से महानगर की यात्रा करते हुये बार-बार लौटकर आता है, अपने गाँव अपनी परम्परा की ओर। नीरव ने अपने समय से संवाद किया है और उसकी सच्चाई को शिद्दत से महसूस किया है। गीतों का शब्द संयोजन और भाषा-शिल्प बेजोड़ है। उन्होंने गीतों की पंक्तियों का वाचन करते हुये उनकी अर्थवत्ता की गहराई स्पष्ट करते हुये कहा, इन गीतों में प्रतीकों के माध्यम से समाज की विसंगतियों को उठाया गया है। ''कंक्रीट से गलियां पटी, अब भला कैसे नहाये, धूल में चिडिय़ा।ÓÓ पक्तिं में आदमी की कठोरता की ओर इशारा है, तो''शहर की सरहदों के पार पंछी उड़ गये, देखकर खाली सकोरे।ÓÓ में आदमी के खालीपन का। ''मौसम की चि_ी तो अब भी आती है, हम ऋतुओं की भाषा भूले।ÓÓ पंक्ति प्रकृति से कटाव की सूचक है। गीतों में समस्या हैं, तो समाधान भी है। ''बेवजह ही ताकते हो आसमां को, शेष है अब भी धरा पर, मुस्कुराने की वजह।ÓÓ पंक्ति में कवि आशान्वित है। कार्यक्रम का संचालन कर रहे सम्मेलन के महामंत्री प्रो. मणि मोहन ने नवगीतों के महत्वपूर्ण बिंदुओं को रखा। कार्यक्रम में दमोह, टीकमगढ़, अशोकनगर, भोपाल, विदिशा के साहित्यकारों के साथ ही डॉ. हरिसिंह गौर विश्व विद्यालय के विद्वान प्रोफेसर्स तथा सागर के बुद्धिजीवी, पत्रकार आदि बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष पलाश सुरजन ने गीतकार विनय प्रकाश जैन को अतिथियों के हस्ताक्षरित संकलन की प्रति मंच से भेंट की। 

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