वार्ड क्रं.17 के रहवासियों ने सिंध लाईन कनेक्शन ना मिलने पर जनसुनवाई में बताई अपनी पीड़ाशिवपुरी- एक ओर जहां सिंध जलावर्धन योजना आमजन के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है तो वहीं दूसरी ओर इस योजना के तहत कनेक्शन ना मिलने को लेकर स्थानीय वार्ड क्रं.17 के रहवासियों में नपा की उदासीनता के प्रति रोष व्याप्त है। इसेे लेकर वार्डवासी जनसुनवाई में शिकायत करने पहुंचे यहां जिलाधीश से सिंध कनेक्शन की मांग करते हुए नपा पर आरोप लगाया कि वह पुराने बिल जमा करने की कहकर उन्हें नपा से भगा देते है और सिंध का नया कनेक्शन नहीं देते। इस संदर्भ में वार्ड क्रं.17 के रहवासी रहवासी बिशन लाल, कल्लन, रमेश, धनीराम शाक्य, बच्चू पाल, ओमी राठौर, कमर सिंह, बैजनाथ, इमरतलाल, कल्याण यादव ने बताया कि वह वार्ड क्रं.17 के रहवासी है और उन्हें वार्ड में सिंध पाईप लाईन का कनेक्शन नहीं मिल रहा जिसके चलते वह पेयजल समस्या से परेशान है। इन वार्डवासियों का कहना है कि जब वह नगर पालिका पहुंचकर नए कनेक्शन की मांग करते है तो उन्हें पुराने बिल जमा कहने को कहकर टरका दिया जाता है जबकि इन सभी पर कोई भी पुराना बिल बकाया नहीं है ऐसा इन लोगों का कहना है। ऐसे में जब अपनी सुनवाई नगर पालिका में नहीं हुई तो यह वार्डवासी कलेक्टे्रट जनसुनवाई में पहुंचे और अपनी आपबीती बताई। इसे लेकर उन्होंने अपने शिकायती आवेदन को जनसुनवाई की पेटी में डाला और जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है।
पौष्टिक आहार सब्जी आदि को दी जाने वाली राशि ना मिलने पर की शिकायत
शिवपुरी- शासन के द्वारा प्रदाय की जाने वाली योजना के तहत जब पौष्टिक आहार की राशि 5-6 माह से नहीं आई तो फरियादी परिजन अपनी इस समस्या को लेकर जनसुनवाई में पहुंचे। यहां ग्राम विजयपुरा, पोस्ट खरैह तहसील बदरवास के ग्रामीणजन इंदरबाई, कमलोबाई, नब्बो बाई, इमरीत बाई, राजकुमारी बाई, कुसुम, जानकी, सरोज, गोराबाई, मालती, भग्गो बाई, मिश्री बाई, सिया बाई, गुड्डी ने बताया कि शासन की योजना अनुसार हर माह पौष्टिक आहार हेतु राशि दी जाती है लेकिन 5-6 माह से यह राशि बैंक खाते में नहीं डाली गई जिससे प्रार्थी काफी परेशान है और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में परेशानी का सामना कर रहे है। ऐसे में इन परिजनों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई कि शासन की महती योजना के तहत पौष्टिक आजार सब्जी के रूप में प्रदाय की जाने वाली योजनाओं का लाभी दिया जाए ताकि वह अपने परिवार के साथ भरण-पोषण आसानी से कर सके।
ग्राम सरखण्डी के आदिवासियों को मूलभूत सुविधाओं का भी लाभ नहीं मिल रहा
शिवपुरी-ग्राम सरखण्डी तहसील कोलारस के निवासी आदिवासी परिजन सूरज सिंह, नाहर सिंह, कमला, परमाल, सुरई, सुमिता, मौकम, सिया बाई ने बताया कि उन्हे ंशासकी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा जिसके तहत कई ग्रामीण परिजनों को कुटीर आवंटित हो चुकी है लेकिन कुटीरें नहीं दी गई, ग्राम में बिजली व्यवस्था नहीं है रात में अध्ंोर में ग्रामीणजन निवास कर रहे है ना तो आवास पट्टे मिले और ना ही पट्टा स्वीकृत किया गया, पक्का रास्ता ना होने के कारण कच्चे रास्ते में जाना होता है तो वहां के 50-60 परिवार को इस आवागमन से भी परेशानी होती है, ग्राम पंचायत के सरपंच, रोजगार सहायक सचिव द्वारा कोई सुनवाई नहीं की जा रही। ग्राम सरखण्डी के ग्रामवासियों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि वह 60 वर्षों से वन विभाग की रेंज में निवास करते है रेंज के अधिकारी हमें परेशान करते है यहां पीने के पानी की सुविधा नहीं है जिसके चलते 2 किमी दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है। वहीं जब इन ग्रामीणजनों ने स्वयं के व्यय व परिश्रम से कुआ खोदना चाहा तो उन्हें रेंज के अधिकारियों ने रोक दिया। इस तरह मूलभूत सुविधाओं से भी ग्राम सरखण्डी के ग्रामीणजन परेशान है। इन्होंने अपनी समस्याओं का दूर करने के लिए जिला प्रशासन से गुहार लगाई है।
सरपंच-सचिव ने दे रहे योजनाओं का लाभ, अधिकारों पर डाला डांका
शिवपुरी- शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं से वंचित ग्राम ग्राम इमलिया खरई के ग्रामीणजन मुंशी पत्नि फोदई, ताराचंद पुत्र फोदई, गोविन्द पुत्र जनलाल, नाथू पुत्र सुखो बाई, फागू पुत्र इशा आदिवासी, पहलू पुत्र सड़ुआ आदिवासी, हरिचरण पुत्र मलखान आदिवासी ने बताया कि वह ग्राम के सरपंच-सचिव, रोजगार सहायक सचिव के द्वारा अपनी शिकायतें लेकर पहुंचते है तो उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता। यही कारण है कि ग्राम इमलिया के यह आदिवासी परिजन जिला मुख्यालय स्थित जनसुनवाई में आए यहां इन्होंने अपनी प्रमुख समस्याऐं बताई जिसमें अन्त्योदय राशन कार्ड, खाद्यान्न, राशन पर्ची, वृद्धावस्ता पेंशन, पट्टे, किसारन सम्मान निधि, बीपीएल का लाभ आदि को लेकर पंचायत सचिव, रोजगार सहायक, सचिव एवं सरपंच व पटवारी पर आरोप लगाए कि वह इन योजनाओं का लाभ नहीं दिला रहे। जब वह कागजात लेकर पहुंचते है तो उनके कागजों को फेंक दिया जाता है और दुत्कार कर भगा दिया जाता है। ऐसे में यह आदिवासी परिवार जिला मुख्यालय पर होने वाली जनसुनवाई में पहुंचे और अपने अधिकारों पर डांका डालने वाले सरपंच-सचिव के विरूद्ध कार्यवाही की मांग करने लगे।

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