शिवपुरी- पं.लक्ष्मीकांत शर्मा मंशापूर्ण हनुमान मंदिर बताते हैं कि नवदुर्गा में पंचांग के अनुसार 19 अक्टूबर आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है। मां चंद्रघंटा ने असुरों का संहार किया था मां चंद्रघंटा ने पृथ्वी पर धर्म की रक्षा और असुरों का संहार करने के लिए अवतार लिया था मां दुर्गा के इस रूप की विशेष मान्यता है।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां चंद्रघंटा को परम शांतिदायक और कल्याणकारी माना गया है। मां चंद्रघंटा के मस्तिष्क पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है। इसीलिए इन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है। मां चंद्रघंटा का रूप रंग स्वर्ण के समान है। मां चंद्रघंटा देवी के दस हाथ हैंण् इनके हाथों में शस्त्र.अस्त्र विभूषित हैं और मां चंद्रघंटाकी सवारी सिंह है।
मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व
मान्यता है कि जो भी व्यक्ति नवरात्रि में मां चंद्रघंटा की पूजा विधि पूर्वक करता है उसे अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति होती हैण् वहीं मां चंद्रघंटा की पूजा और उपासना से साहस और निडरता में वृद्धि होती है। हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है। मां चंद्रघंटा की पूजा करने सौम्यता और विनम्रता में भी वृद्धि होती है। ् विधि पूर्वक पूजा करने से मां अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करती हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से रोग से भी मुक्ति मिलती है।
मां चंद्रघंटा पूजा विधि
19 अक्टूबर 2020 को शुभ मुहूर्त में मां चंद्रघंटा की पूजा प्रारंभ करनी चाहिएण् पूजा आरंभ करने से पूर्व मां चंद्रघंटा को केसर और केवड़ा जल से स्नान कराएं, इसके बाद उन्हें सुनहरे रंग के वस्त्र पहनाएं, इसके बाद मां को कमल और पीले गुलाब की माला चढ़ाएं, इसके उपरांत मिष्ठानए पंचामृत और मिश्री का भोग लगाएं।
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