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𝙎𝙝𝙞𝙫𝙥𝙪𝙧𝙞 𝙆𝙝𝙖𝙗𝙖𝙧

Friday, April 15, 2022

शक्तिशाली महिला संगठन ने के द्वारा डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन



शिवपुरी।
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का जीवन संघर्ष और सफलता की ऐसी अद्भुत मिसाल है जो शायद ही कहीं और देखने को मिले, 14 अप्रैल के दिन को पूरा देश सविंधान के रचियता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जन्मोत्सव के रूप में मनाता हैं अंबेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू में सूबेदार रामजी शकपाल एवं भीमाबाई की चौदहवीं संतान के रूप में हुआ था, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का जीवन संघर्ष और सफलता की ऐसी अद्भुत मिसाल है जो शायद ही कहीं और देखने को मिले। जानकारी देतु हुए कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने बताया कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का नाम आते ही भारतीय संविधान का जिक्र अपने आप आ जाता है सारी दुनिया आमतौर पर उन्हें या तो भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका के नाते याद करती है या फिर भेदभाव वाली जाति व्यवस्था की प्रखर आलोचना करने और सामाजिक गैरबराबरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले योद्धा के तौर पर आज बाबा साहव की जंयती के अवसर पर शक्तिशाली महिला संगठन के द्वारा विचार संगोष्ठी का आयोजन शक्तिशाली महिला संगठन के बाण गंगा स्थित कार्यालय पर किया गया। 

यहां सर्वप्रथम विश्व शान्ति पाठ कर बाबा साहव को नमन किया तत्पश्चात कार्यक्रम में सबसे पहले संस्था के कार्यकर्ता पुरुषोत्तम जाटव ने भीमराव बाबा के जीवन परिचय दिया। उन्होने कहा कि बाबा साहव ऐसे धर्म को मानते थे जो स्वतंत्रता, समानता और आपसी भाईचारा सिखाता है ऐसे हमारे प्रेरणा स्त्रोत थे बाबा साहव जिनको आज पूरी दुनिया याद कर रही है। उन्होने लाखों युवाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। संगोष्ठी में संस्था के प्रमोद गोयल ने कहा कि अंबेडकर साहव की एक बात हमेशा उनके जहन में होती है कि वह कहते थे कि यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते है तो सभी धर्मो के शास्त्रों की संप्रभूता का अतं होना चाहिए। कार्यक्रम में पूजा शर्मा ने कहा कि बाबा का मानना था कि जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए। संगोष्ठी में साहव सिंह धाकड़ ने कहा कि अच्छा दिखने के लिए नही बल्कि अच्छा बनने के लिए जिओ । 

कार्यक्रम में मान सिंह कुश्वाह ने कहा कि अंबेडकर का परिवार मराठी था और वो मूल रूप से महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के अंबडवेकर गांव ताल्लुक रखते थे मां का नाम भीमाबाई सकपाल था अंबेडकर के पिता कबीर पंथी थेण् महार जाति के होने की वजह से अंबेडकर के साथ बचपन से ही भेदभाव शुरू हो गया था उनकी आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं थी लेकिन शिक्षा के प्रति उनका अटूट प्रेम था इसलिए वे बालक भीम को अच्छी शिक्षा देने के लिए मन में दृढ़ संकल्पित थे 

कार्यक्रम में ललीत ओझा ने अपने विचार में कहा कि एक दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाले डॉ अंबेडकर ने अपने बचपन में भी कई यातनाएं झेली थीं जिनका गहरा असर उनके व्यक्तित्व पर पड़ा भीमराव अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन सामाजिक बुराइयों जैसे छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष में लगा दिया पूरे विश्व में उनके मानवाधिकार आंदोलनों उनकी विद्वता जानी जाती है कार्यक्रम में रवि गोयल ने अपने उदबोधन में कहा कि आज भले ही ज्यादातर लोग उन्हें भारतीय संविधान के निर्माता और दलितों के मसीहा के तौर पर याद करते होंए लेकिन डॉ अंबेडकर ने अपने करियर की शुरुआत एक अर्थशास्त्री के तौर पर की थी डॉ अंबेडकर किसी अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी हासिल करने वाले देश के पहले अर्थशास्त्री थे 

कार्यक्रम में लव कुमार बैष्णव ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर ने प्रारंभिक शिक्षा लेने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ा लेकिन इन सबके बावजूद भी अंबेडकर ने न केवल उच्च शिक्षा हासिल की बल्किए स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बने उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम अर्पित कर दिया था कार्यक्रम में अन्य विचार धारको जिनमें धर्मगिरी गोस्वामी , कमलेश कुश्वाह एवं अन्य वक्ताओं ने अपने विचार रखे एवं संगोष्ठी के माध्यम से बाबा साहव को याद किया एवं उनके विचारों से शोषित, बचितं एवं प्रताड़ित बर्ग को जागरुक करने का निश्चय किया।

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