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Monday, June 20, 2022

जीवनदाता बने जिला अस्पताल की चिकित्सक, फिर बचाए एक बच्चे के प्राण


नेफ्रोटिक सिंड्रोम से पीडि़त का हुआ उपचार

शिवपुरी-जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ ने एक बार फिर लाखों में दो चार बच्चों को होने वाली गंभीर बीमारी नेफ्रोटिक सिंड्रोम से  पीडित बच्चे का उपचार कर बच्चे के प्राण बचा जीवनदाता बन गए। उल्लेखनीय है कि पूर्व में कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित बच्चों का जिला अस्पताल के शिशुरोग विशेषज्ञ उपचार कर चुके हैं जिसमें रोगी के परिजन उपचार में लाभ न मिलने से निराश हो चुके थे। ऐसा ही एक मामला बारह दिन पूर्व जिला अस्पताल में फिर सामने आया जहां पूरे शरीर में गंभीर सूजन के साथ छोटू पुत्र राकेश जाटव उम्र 9 बर्ष निवासी ग्राम सालोदा विकासखण्ड पोहरी को लाया गया। जिला अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ संतोष पाठक को परीक्षण कराते समय बच्चे का पेट बेहद फूला हुआ था उसमें पानी भर चुका था। 

इतना ही नही बच्चे की शरीर के अधिकांश भाग में गंभीर सूजन थी। छोटू के पिता राकेश ने चिकित्सक को बताया कि बच्चे के बीमार होने पर कई क्षैत्रीय चिकित्सकों के दिखाने के बाद पिछले एक हफते से वह झाड फूक करने वाले ओझाओं से झाडा दिला रहा था जब उससे भी लाभ नही मिला तो फिर उसने जिला अस्पताल लेकर आया है। डॉक्टर संतोष पाठक ने बच्चे को खासी गंभीर हालत में देखते हुए तत्काल शिशु रोग विभाग में भर्ती कर आवश्यक परीक्षण कराने प्रारंभ किए जिसके परिणाम स्वरूप बच्चे में नेफ्रोटिक सिंड्रोम नामक गंभीर बीमारी पाई गई। चिकित्सकीय दल ने बच्चे का  उपचार प्रारंभ किया और तेरह दिन के निरंतर उपचार के बाद बच्चे को पूर्ण स्वस्थ्य होन पर डिसचार्ज किया गया।

दुर्लभ बीमारी है नेफ्रोटिक सिंड्रोम
नेफ्रोटिक सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जो लाखों बच्चों में से दो चार बच्चों को होती है। इस बीमारी में मुख्य रूप से किडनी प्रभावित होती है बच्चा कम पेशाब जाता है जिससे शरीर में इन्फेक्शन फैलने लगता है शरीर के अधिकांश हिस्सों में सूजन आ जाती है। इतना ही नही पेट, फैंफडे आदि में पानी भर जाता है। बच्चा जब भी पेशाब जाता है तो शरीर से भारी मात्रा में प्रोटीन निकल जाता है जिससे अन्य अनेकों स्वास्थ्य समस्याएं बच्चे के शरीर को घेरने लगती है। इसके अलावा शरीर में केलेस्ट्रोल की मात्रा भी बहुत बड जाती है जो खासी घातक है। इस बीमारी में यदि बच्चे को सही और पूर्ण उपचार प्राप्त न हो तो कई अंगों के प्रभावित हो जाने से बच्चे की मृत्यु तक हो सकती है।

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