बच्चों को संस्कारवान बनाने मुनिश्री दर्शित सागर जी महाराज प्रतिदिन ले रहे हैं बच्चों की पाठशालाशिवपुरी-धर्म और चरित्र इन दोनों को यदि समझ लिया तो समझिए सम्यक ज्ञान आपने प्राप्त कर लिया लेकिन अक्सर देखने में आता है कि व्यक्ति धर्म तो करता है लेकिन वह धर्म किसी लोभ, हित साधन व अन्य किसी स्वार्थ के चलते करता है जिसका परिणाम है कि वह कहीं ना कहीं कोई लोभ के चलते इस तरह का कार्य कर रहा है वहीं चरित्र की यदि बात करें तो आज के व्यक्ति को अपने चरित्र को स्वयं समझना होगा, क्योंकि वह वर्तमान परिवेश में ना-ना प्रकार के लोगों से इस संसार में मेल-मिलाप करता है और अपनी साख चरित्र को संभालना ही उसकी नैतिक जिम्मेदारी है इसलिए धर्म और चरित्र के बिना सम्यक दर्शन नहीं हो सकते है इन दोनों का समावेश बिना किसी स्वार्थ के किया जाए तो मोक्ष प्रदायी फल प्रदान करने वाला है। धर्म और चरित्र पर यह आर्शीवचन दे रहे थे प्रसिद्ध मुनिश्री 108 ुसुप्रभगसागर जी महाराज जो इन दिनों गुरूद्वारा रोड़ स्थित श्रीदिगम्बर छत्री जैन मंदिर पर आयोजित चार्तुमास धर्मसभा के माध्यम से उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने-अपने धर्म और चरित्र की रक्षा का संदेश दे रहे थे।
इस दौरान कार्यक्रम की शुरूआत मंगलाचरण के साथ हुई साथ ही महिला मण्डल के द्वारा दीप प्रज्जवलन किया गया। मुनिश्री सुप्रभसागर जी महाराज के द्वारा मनुष्य के गृहस्थ जीवन से जुड़ी कई जिज्ञासाओं का समाधान भी यहां किया गया और चार प्रकार के आश्रमों को परिभाषित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबी मौजूद रहे जिन्होंने मुनिश्री के दर्शन प्राप्त कर आर्शीवचनों का पुण्य लाभ प्राप्त किया। कार्यक्रम का संचालन रामदयाल जैन (मावा वाले)के द्वारा किया गया।
बच्चों को संस्कारवान बनाने मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज ले रहे है प्रतिदिन बच्चों की पाठशाला
एक ओर जहां श्रीदिगम्बर जैन छत्री मंदिर पर मुनिश्री सुप्रभसागर जी महारा द्वारा महिला-पुरूषों के लिए धर्म ज्ञान की गंगा बहाई जा रही है तो वहीं बच्चों में धर्म के प्रति लगाव हो और वह धर्म-ज्ञान को समझें इसे लेकर प्रसिद्ध मुनिश्री 108 श्री दर्शितसागर जी महाराज के द्वारा भी मंदिर परिसर में बच्चों के लिए प्रतिदिन ज्ञान की पाठशाला का संचालन किया जा रहा है जिसमें बच्चों को बचपन से ही मंदिर से जुडऩे और धर्म ज्ञान को वह समझें इसे लेकर विभिन्न कहानियों, उदाहरणों और कथाओं के माध्यम से बच्चों को संस्कारवान बनाने का कार्य किया जा रहा है। यहां प्रतिदिन मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के द्वारा बच्चों के लिए ना-ना प्रकार के कथा व्यंग्यों के द्वारा जहां धर्म ज्ञान पढ़ाया जा रहा है तो वहीं बच्चों से भी उनकी जिज्ञासाओं को जानकर उनका समाधान भी त्वरित किया जा रहा है ताकि बच्चे स्वयं अपने ज्ञान के विवेक को बढ़ा सके।
बच्चों को संस्कारवान बनाने मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज ले रहे है प्रतिदिन बच्चों की पाठशाला
एक ओर जहां श्रीदिगम्बर जैन छत्री मंदिर पर मुनिश्री सुप्रभसागर जी महारा द्वारा महिला-पुरूषों के लिए धर्म ज्ञान की गंगा बहाई जा रही है तो वहीं बच्चों में धर्म के प्रति लगाव हो और वह धर्म-ज्ञान को समझें इसे लेकर प्रसिद्ध मुनिश्री 108 श्री दर्शितसागर जी महाराज के द्वारा भी मंदिर परिसर में बच्चों के लिए प्रतिदिन ज्ञान की पाठशाला का संचालन किया जा रहा है जिसमें बच्चों को बचपन से ही मंदिर से जुडऩे और धर्म ज्ञान को वह समझें इसे लेकर विभिन्न कहानियों, उदाहरणों और कथाओं के माध्यम से बच्चों को संस्कारवान बनाने का कार्य किया जा रहा है। यहां प्रतिदिन मुनिश्री दर्शितसागर जी महाराज के द्वारा बच्चों के लिए ना-ना प्रकार के कथा व्यंग्यों के द्वारा जहां धर्म ज्ञान पढ़ाया जा रहा है तो वहीं बच्चों से भी उनकी जिज्ञासाओं को जानकर उनका समाधान भी त्वरित किया जा रहा है ताकि बच्चे स्वयं अपने ज्ञान के विवेक को बढ़ा सके।
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