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Tuesday, May 16, 2023

सागर /नाबालिग को शादी का झांसा देकर भगा ले जाकर जबरन दुष्कृत्य करने वाले आरोपी को आजीवन सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड


सागर ।
नाबालिग को शादी का झांसा देकर भगा ले जाकर जबरन दुष्कृत्य करने वाले आरोपी राजू पटैल थाना-सुरखी को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा-366 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड एवं धारा-376(1) के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-  376(3) के तहत 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड तथा धारा-5(एल) सहपठित धारा-6 पॉक्सों एक्ट के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड तथा धारा-3(1)(डब्ल्यू)(आई) एस.सी./एस.टी.एक्ट 1989 के तहत 03 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड , धारा-3(2)(व्ही) एस.सी./एस.टी.एक्ट 1989 के तहत आजीवन सश्रम कारावास व पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। एवं न्यायालय द्वारा बालिका के पुर्नवास के लिये उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर 4,00,000/- (चार लाख रूपये) दिये जाने का आदेष दिया गया ।मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/बालिका के पिता ने दिनांक 29.11.2021 को थाना-सुरखी मंे रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 28.11.2021 के रात्रि करीब 9.30 बजे बालिका शाैंच का कहकर बाहर गई थी जो बहुत देर तक वापस नहीं आई जिसकी तलाश करने पर भी वह नहीं मिली। बालिका को अभियुक्त राजू पटैल द्वारा बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने का संदेह व्यक्त किया । दिनांक 30.11. 2021 को बालिका के दस्तयाब पर उसके द्वारा बताया गया कि दिनांक 28.11.2021 को रात्रि करीब 9.30 बजे अभियुक्त राजू पटैल उसे बहला फुसलाकर शादी का झांसा देकर भगा ले गया और  उसकी मर्जी के बिना उसके साथ बार-बार जबरदस्ती बलात्कार किया एवं उक्त घटना दिनांक के पूर्व भी अभियुक्त द्वारा बालिका के घर में शादी का झांसा देकर उसके साथ बलात्कार करना बताया। 

उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-सुरखी द्वारा धारा-366क, 376, 376(2)(एन), 450,376(3) भा.दं.सं. एवं धारा-3/4 ,5एल/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई), 3(2)(व्ही), अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने  आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है।

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