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Saturday, June 8, 2024

चैक बाउंस मामले में आरोपी को 2 माह साधारण कारावास व 1 लाख 41 हजार रूपये प्रतिकर से किया दण्डित


शिवपुरी-
खेती एवं बोरबेल मशीन के लिए परिचित होने के कारण उधार लिए ऋण की राशि वापस ना करने पर आरोपी को माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जिला शिवपुरी के द्वारा 2 माह का साधारण कारावास एवं 1 लाख 41 हजार रूपये प्रतिकर से दण्डित किया है। इस मामले में परिवादी की ओर से पैरवी अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के द्वारा की गई।

परिवाद के अनुसार परिवादी शिवपुरी पेट्रोल पंप प्रबंधक नरेन्द्र जैन व आरोपी बलवीर एक दूसरे से परिचित थे, अभियुक्त बलवीर पुत्र अमर सिंह निवासी शारदा सॉल्वेन्ट फैक्ट्री के सामने, जिला शिवपुरी ने परिवादी नरेन्द्र जैन के पेट्रोल पंप से खेती एवं बोरबेल मशीन के लिए 1 लाख रूपये का डीजल क्रय किया था। उक्त डीजल के भुगतान के एवज में बलवीर ने नरेन्द्र को उधार लिए गए डीजल की धनराशि के भुगतान हेतु आगामी दिनांक का चैक इंडियन ओवरसीज बैंक शाखा शिवपुरी का 1 लाख रूपये की राशि का दिनांक 31.07.2017 का प्रदत्त किया था। आरोपी ने कहा था कि उक्त चैक भुगतान हेतु अपने बैंक खाते में जमा कर देना तो आवश्यक रूप से चैक का भुगतान प्राप्त हो जाएगा। परिवादी ने अभियुक्त बलवीर के द्वारा भुगतान हेतु प्रदत्त चैक अपनी शाखा बंधन बैंक शिवपुरी में जमा किया तो आरोपी का चैक अपर्याप्त निधि के साथ बैंक रिटर्न मेमो के साथ वापिस प्राप्त हुआ। 

उक्त चैक बाउंस हो जाने के बाद चैक राशि की मांग हेतु अपने अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के माध्यम से 15 दिवस का नोटिस आरोपी बलवीर को भेजा गया। आरोपी बलवीर ने नोटिस के 15 दिवस बीत जाने के बाद भी उक्त धन राशि परिवादी को अदा नहीं की। तब परिवादी नरेन्द्र जैन ने माननीय न्यायालय के समक्ष धारा 138 परक्राम्य लिखित अधिनियम के तहत परिवाद अपने अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के माध्यम से प्रस्तुत किया। दोनों पक्षों की साक्ष्य प्रस्तुत होने के बाद माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जिला शिवपुरी के न्यायालय के द्वारा अभियुक्त को धारा 138 परक्राम्य लिखित अधि. के अंतर्गत दोषी पाते हुए 2 माह का साधारण कारावास एवं 1 लाख 41 हजार रूपये प्रतिकर के रूप में परिवादी को दिए जाने का आदेश पारित किया। प्रतिकर की राशि अदा ना करने पर 15 दिवस का अतिरिक्त साधारण कारावास पृथक से भुगताए जाने का आदेश पारित किया गया। इस प्रकरण में परिवादी की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के द्वारा की गई।
 

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