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Wednesday, October 16, 2024

जीवन और मृत्यु के बंधन को मुक्त करती है श्रीमद् भागवत कथा : परम पूज्य संत श्री चिन्मयानंद जी बापू







पहारिया परिवार द्वारा आयोजित कथा में श्रद्धालुओं को धर्म के प्रति किया मार्ग प्रशस्त

शिवपुरी- शहर की छत्री रोड़ स्थित परिणय वाटिका में वैकुण्ठवासी श्री राधेश्याम पहारिया स्मृति में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ से राष्ट्रीय संत परम पूज्य श्री चिन्मयानंद जी बापू के द्वारा कथा का श्रवण श्रद्धालुओं के लिए किया गया। जिसमें धर्म के प्रति मार्ग प्रशस्त किया गया। कथा प्रारंभ से पूर्व कथा यजमान परिजन श्रीमती लाली-शैलेन्द्र (सीटू)पहारिया एवं श्रीमती सनाया-शिवम परिवार के द्वारा श्रीमद् भागवत पूजन किया गया तत्पश्चात पूज्य बापू श्री चिन्मयानंद जी से आर्शीवाद ग्रहण कर कथा का शुभारंभ हुआ।

कथा में परम पूज्य संत श्री चिन्मयानंद बापू जी ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा ही एकमात्र ऐसी कथा है जिसमें जीवित व्यक्ति के साथ-साथ मरे हुए व्यक्ति को भी बंधन से मुक्त करने का सामर्थ है कोई भी व्यक्ति कितना भी पाप किया हो जीवन भर कितनी भी गलत कार्यों में लिप्त रहा हो ऐसी व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात यदि उसके नाम से श्रीमद्भा गवत कथा कर दी जाए तो वह अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है। पूज्य श्री बापू जी ने कहा कि भागवत कथा के अंदर गोकर्ण धुंधकारी संवाद में हमें यही बताया गया कि जीवन भर धुंधकारी ने पाप किया और बाद में गोकर्ण ऋषि ने उनके नाम से श्रीमद् भागवत कथा का गान किया और वह मुक्त हुए। पूज्य बापूजी ने कहा कि जहां पर भागवत कथा होती है वहां पर उस समय में सारे तीर्थ, सारी नदियां, सारे देवता विचरण करते हैं, 

श्रीमद् भागवत कथा कल्पतरू की तरह है जिसकी शरण में बैठने पर हमारी सारी मनोकामनाएं भागवत कथा पूर्ण करती है। पूज्य बापूजी ने कहा कि भागवत कथा में जो व्यक्ति जिस मनसा के साथ बैठता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं लेकिन व्यक्ति की भावना पवित्र हो और संसार के मंगल की कामना उसके मन में हो, ऐसे व्यक्ति की मनोकामना भागवत कथा से पूर्ण होती है।  कथा में बापूजी ने आर्शीवचनों में बताया कि भागवत कथा में ऐसा समर्थ है भक्ति मैया के दोनों पुत्र ज्ञान-वैराग्य वृंदावन की भूमि पर वृद्ध हो गए थे, लेकिन जब श्रीमद् भागवत कथा का ज्ञान नारद जी ने सनकादिक ऋषियों से कराया तो वृंदावन की धरा पर जो ज्ञान वैराग्य वृद्ध हो गए थे वह भी चेतन अवस्था में आकर नृत्य गान करने लगे और उनके साथ भक्ति मैया भी नृत्य करने लगी। बापूजी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का बांग मय स्वरूप श्रीमद् भागवत कथा है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूज्य श्री चिन्मयानंद बापू के दर्शन कर कथा में पहुंचकर धर्मलाभ प्राप्त किया।

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