सहरिया क्रांति के संयोजक ने कलेक्टर के समक्ष रखी समस्या, दिलाया मदद का भरोसाशिवपुरी। दर दर की ठोकरें खाकर, अपनी चार बच्चों और पत्नी का भरण पोषण करने वाले पदम आदिवासी को अब खुले आकाश में और भूखे पेट नहीं सोना पड़ेगा। सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन ने पदम आदिवासी की करुण गाथा जब कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी के सामने रखी, तो उन्होंने तुरंत मानवीयता का परिचय देते हुए इसे शासन की योजनाओं के तहत मदद दिलाने की ठानी। कलेक्टर ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को तत्काल निर्देशित किया कि पदम को जो भी शासन की योजनाओं के तहत सहायता मिल सकती है, वह प्राथमिकता के साथ प्रदान की जाए।
पदम आदिवासी का संघर्ष किसी दुखद कहानी से कम नहीं था। उनका कहना है कि उनके पिता के नाम जो जमीन टोंगरा गाँव में थी, वह तालाब की डूब में आ गई। मुआवजा मिला, लेकिन गाँव के कुछ चालाक लोगों ने उसे हड़प लिया। इस कारण उनका परिवार भूखमरी की कगार पर पहुँच गया। मजबूर होकर उन्हें अपने चार बच्चों और पत्नी के साथ सड़कों पर खुले आकाश के नीचे रहना पड़ा। पूरे परिवार को कूड़ा-करकट से कबाड़ ढूंढने और उसे बेचकर पेट की आग बुझानी पड़ती थी। एक दिन नगर के कुछ सजग नागरिकों ने उनकी स्थिति को देखा और एक ऑटो करके उन्हें सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन के पास भेज दिया। पदम ने अपनी दर्दनाक कहानी सुनाई, जिसे सुनकर संजय बेचैन बहुत प्रभावित हुए। इसके बाद, संजय बेचैन ने उन्हें कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी के पास ले जाकर उनकी स्थिति बताई।
कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी ने तत्काल कार्रवाई की और उन्होंने एसडीएम को आदेश दिया कि पदम आदिवासी को शासन की योजनाओं से लाभान्वित किया जाए और उसकी परिवार की तत्काल मदद की जाए। कलेक्टर के निर्देशों के बाद, पदम और उसके परिवार को नगर के बस स्टैंड स्थित रैन बसेरा में भेजा गया। साथ ही, दीनदयाल रसोई से उनकी भोजन-पानी की व्यवस्था की गई। अब पदम आदिवासी को कम से कम रात को खुले आकाश के नीचे सोने की चिंता नहीं रहेगी। कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी और सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन की यह पहल उस गरीब आदिवासी परिवार के लिए एक नई उम्मीद बनकर आई है।
No comments:
Post a Comment