शिवपुरी-विश्व गीता प्रतिष्ठानम् उज्जयिनी के तत्वाधान में संचालित गीता स्वाध्याय मंडल द्वारा उत्सवो के क्रम में तृतीय उत्सव आद्य शंकराचार्य प्रकटोत्सव का आयोजन सरस्वती शिशु मंदिर अस्पताल चौराहा शिवपुरी में आयोजित हुआ। जहां परंपरा अनुसार दीप प्रज्वलन, परिचय एवं सम्मान तदुपरांत केंद्रीय सप्तोत्सव प्रमुख पं.विष्णु प्रसाद शर्मा द्वारा विश्व गीता प्रतिष्ठानम् एवं उत्सवों की जानकारी दी। रमेश कोठारी केंद्रीय स्वाध्याय प्रधान द्वारा चर्पटपट पंजीरिका स्तोत्र -भज गोविंदम् का गायन किया।वक्ताओं के क्रम में सर्वप्रथम साहित्यकार, कवि पं आशुतोष शर्मा ओज द्वारा ओजसी उद्बोधन में बताया की 800 ई में देशवासी अपने को दीन-हीन समझ रहा था, मार्गदर्शन का अभाव था, तब शंकराचार्य जी ने पूरे देश की यात्रा कर लोगों को जागृत किया और भारतीय संस्कृति को बचाने का कार्य किया। आज भी देश में मानसिक अशांति फैल रही है अध्ययन की शैली से बच्चे दूर होते जा रहे हैं ,मोबाइल संस्कृति की तरफ बढ़ रहे हैं, इससे प्रदूषण देखने को मिल रहा है। महाभारत विश्व का सर्वश्रेष्ठतम और विशाल ग्रंथ है लेकिन लोग पढऩा ठीक नहीं समझते, सोचते हैं कि इससे महाभारत हो जाएगा। दूसरे वक्ता डॉ ओमप्रकाश नीखरा ने बताया कि केरल के कालडी ग्राम में शिवगुरु -आर्यम्बा से 788 ई में वैशाख शुक्ल पंचमी को शंकराचार्य को जन्म हुआ। 12 वर्षी की आयु में चारों वेद उपनिषद सारे ग्रंथों का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। अल्प आयु में ही धर्म ध्वज धारण कर संस्कृति का उत्थान किया। उन्होंने विवेक चूड़ामणि नाम ग्रंथ लिखा ,
कहां की भक्ति ही मोक्ष दे सकती है। ब्रह्म सत्य जगत मिथ्या है ,की शिक्षा के माध्यम से अभिधा माया का अंत किया और अद्वैत सिद्धांत का प्रतिपादन किया। तृतीय वक्ता पं दामोदर प्रसाद गौतम जी ने बताया कि आठवीं ईसवी में भारतीय संस्कृति का पतन होने लगा था बौद्धों के समय मदारापन व्यभिचार बढ़ गया था शंकराचार्य जी ने अल्पायु में ही शास्त्र पारंगत हो गए थे जगह-जगह शास्त्रार्थ के माध्यम से लोगों को जागृत किया एक बार शंकराचार्य जी ने मंडन मिश्र को शास्त्रार्थ में परास्त किया तब उनकी पत्नी भारती ने कहा कि मुझेसे शास्त्रार्थ करिए। वह कामशास्त्र में संवाद करने लगी शंकराचार्य जी ने कुछ समय लेकर अपने को दूसरे शरीर में प्रवेश कर कामशास्त्र में भारती को परास्त किया। इसी प्रकार हमें पूर्वजों का स्मरण करना चाहिए ,उनकी यशोगान से हमें शिक्षा ग्रहण करना चाहिए आयोजन का गीता जी की आरती कल्याण मंत्र के साथ समापन किया गया
कार्यक्रम का संचालन सुरेश शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विश्व गीता प्रतिष्ठानम् के जिला संयोजक ओमप्रकाश शिवहरे, जिला उत्सव प्रमुख सुरेंद्र कुमार शर्मा, स्वाध्याय प्रधान सुनील भार्गव, महिला संयोजिका शशि भार्गव, प्रदीप लक्षाकार, जनक किशोरी, भगवान सिंह यादव ने सियाराम शर्मा, अमृतलाल महते, राम किशोर शिवहरे, आर डी झा, शंभू दयाल पाठक, मधुसूदन भार्गव, मुन्नालाल जोशी, राधेश्याम ओझा, नक्टूराम शिवहरे ,ओम प्रकाश शर्मा, राजेंद्र कुमार शर्मा ,दीप शर्मा एवं अन्य लोगों ने अपनी सहभागिता की।
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