शिवपुरी। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर शनिवार को जिलेभर के सहरिया बहुल गाँवों में सहरिया क्रांति संगठन ने व्यापक जनजागरण अभियान चलाया। गाँव-गाँव में पारंपरिक नृत्य-गान, गीत-संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ आदिवासी समाज ने उत्साहपूर्वक अपना दिवस मनाया। इस मौके पर जहां एक ओर खुशी और गर्व का माहौल था, वहीं संगठन ने समाज की वर्तमान चुनौतियों और अधिकारों के लिए संघर्ष का संकल्प भी दोहराया।ग्राम गड़ोइया चरखऊ में आयोजित कार्यक्रम में सहरिया क्रांति के सदस्यों ने आदिवासी समाज को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों और परंपराओं की रक्षा करना भी उतना ही आवश्यक है। वक्ताओं ने इस बात पर चिंता जताई कि आज भी सहरिया समाज के कई गाँव आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं और रोजगार, स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। आयोजन के दौरान ग्रामीणों ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन पर थिरकते हुए सामूहिक नृत्य किया। युवाओं और बुजुर्गों ने मिलकर अपने पारंपरिक गीत गाए, जिससे गाँव में उल्लास का माहौल छा गया। कई स्थानों पर महिलाएं भी रंग-बिरंगे परिधानों में शामिल होकर सांस्कृतिक परंपरा की झलक पेश करती नजर आईं। इस अवसर पर सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन ने अपना विशेष संदेश जारी किया।
उन्होंने सभी समाजजनों को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा, हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक हर सहरिया परिवार को उसका हक और अधिकार नहीं मिल जाता। यह लड़ाई आखिरी सांस तक चलेगी, क्योंकि यह सिर्फ जमीन या रोजग़ार की लड़ाई नहीं, सहरिया समाज के अस्तित्व और पहचान की लड़ाई है। कार्यक्रम के अंत में सभी ने सामूहिक रूप से अपने हक और अधिकारों के लिए एकजुट रहने का संकल्प लिया। ग्रामीणों ने सहरिया क्रांति संगठन को इस जनजागरण अभियान के लिए धन्यवाद देते हुए भरोसा जताया कि आने वाले समय में यह आंदोलन और भी सशक्त रूप में सामने आएगा।
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