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Wednesday, September 3, 2025

नपा के 18 पार्षदों के इस्तीफे कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी ने किए खारिज


विधि मान्य नहीं होने और नियम मुताबिक नहीं होने से अमान्य किए इस्तीफे

शिवपुरी। नगरपालिका के जिन 18 पार्षदों ने कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी को इस्तीफे सौंपे थे वह खारिज कर दिए गए है। इन पार्षदों में 12 भाजपा, 4 कांग्रेस और 2 निर्दलीय सदस्य शामिल हैं। इसका पूर्व अनुमान लगाया जा रहा था। हालांकि कलेक्टर रवीन्द्र कुमार ने जो तर्क दिया है वह भी जायज है।

कलेक्टर चौधरी का कहना है इस्तीफे ऐसे ही नहीं दिए जाते। उसका भी एक नियम होता है। कानून कहता है कि पार्षद का त्यागपत्र स्पष्ट, लिखित और बिना किसी शर्त के होना चाहिए। साथ ही यह सुनिश्चित होना चाहिए कि इस्तीफा स्वेच्छा से और दबाव रहित दिया गया हो।उन्होंने कहा कि सामूहिक रूप से दिए गए इस्तीफे विधिसम्मत प्रक्रिया के अनुसार मान्य नहीं हैं। इस मामले में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था, इसलिए इस्तीफे कानूनी रूप से मान्य नहीं हैं। इस तरह अब अध्यक्ष हटाओ अभियान में आज बुधवार को नया मोड़ आया है। अब सभी पार्षदों के इस्तीफों को कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी ने खारिज कर दिया है।  

इन पार्षदों ने दिया है इस्तीफा
नपाध्यक्ष के खिलाफ जिन पार्षदों ने दिया उनमें नगर पालिका उपाध्यक्ष सरोज रामजी व्यास, भाजपा पार्षद विजय शर्मा, राजा यादव, ताराचंद राठौर, रीना कुलदीप शर्मा, ओमप्रकाश जैन ओमी, नीलम अनिल बघेल, सरोज महेन्द्र धाकड़, प्रतिभा गोपाल शर्मा, मीना पंकज शर्मा, कांग्रेस पार्षद मोनिका सीटू सरैया, संजय गुप्ता, ममता बाईसराम धाकड़, कमलाकिशन शाक्य, रितु जैन, निर्दलीय राजू गुर्जर और गौरव सिंघल शामिल हैं। इसके अलावा रितु रत्नेश जैन ने अलग से इस्तीफा दिया था।

नपाध्यक्ष पर लगाए गंभीर आरोप
नपाध्यक्ष की कार्यप्रणाली के खिलाफ पार्षदों ने गंभीर आरोप लगाए है इसे लेकर सभी ने एकत्रित होकर इस्तीफा जिला प्रशासन के समक्ष सौंपे थे, पार्षदों पार्षदों ने इस्तीफा देने के पीछे कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें शहर में सफाई, पानी और नालियों की खराब हालत पर कोई कार्रवाई न होना, नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा का मनमाना व्यवहार और पार्षदों की अनदेखी, अध्यक्ष के बेटे पर दुष्कर्म का मामला दर्ज होना, अध्यक्ष गायत्री शर्मा पर भी भ्रष्टाचार के आरोप, जिसकी शिकायतें लोकायुक्त में लंबित हैं सहित पार्षदों का कहना है कि शहर के लोग तीन साल से परेशान हैं और अब बदलाव जरूरी है।

अब आगे क्या?
कलेक्टर द्वारा इस्तीफे खारिज किए जाने के बाद, पार्षदों के पास अब न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का विकल्प बचा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह मामला अदालत में जाता है, तो नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ यह संघर्ष लंबा चल सकता है।

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